दिल्ली की एक अदालत ने एक व्यक्ति को लूट के आरोप से बरी करते हुए पुलिस जांच पर सवाल उठाए। अदालत ने कहा कि पुलिस द्वारा की गई जांच में कई खामियां थीं और अभियोजन पक्ष के गवाहों के बयानों में विरोधाभास पाया गया।
अदालत ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि अभियोजन पक्ष आरोपों को साबित करने में “बुरी तरह विफल” रहा। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अतुल अहलावत आरोपी वेद प्रकाश के खिलाफ सुनवाई कर रहे थे, जिस पर 12 मई 2018 को उत्तर-पूर्वी दिल्ली के सोनिया विहार में एक बस स्टैंड के पास एक व्यक्ति का मोबाइल फोन और पर्स लूटने का आरोप था।
अदालत ने अपने फैसले में कहा कि शिकायतकर्ता और उसके मित्र ने घटना के समय किसी को पुलिस नियंत्रण कक्ष (पीसीआर) में कॉल करने के लिए कहा, जिसके बाद पुलिस घटनास्थल पर पहुंची। हालांकि, जांच अधिकारी ने कॉल करने वाले व्यक्ति का पता लगाने का कोई प्रयास नहीं किया और उसे अभियोजन पक्ष का गवाह भी नहीं बनाया, जिससे अभियोजन पक्ष की कहानी कमजोर पड़ गई।
अदालत ने अपने फैसले में यह भी कहा कि अभियोजन पक्ष यह साबित नहीं कर पाया कि आरोपी से बरामद किया गया मोबाइल फोन शिकायतकर्ता का था। उपलब्ध प्रमाणों के अभाव में अदालत ने आरोपी को सभी आरोपों से बरी कर दिया।