KGF के बाद देश के कई प्रोड्यूसर्स ने फिल्मों के ऑफर दिए
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साउथ की फिल्म इंडस्ट्री में रजनीकांत के अलावा यश ऐसे स्टार हैं, जिंदगी ने जिनकी काफी अग्निपरीक्षा ली। इसके बावजूद उन्होंने जादुई स्टारडम स्टेट्स हासिल किया है। दैनिक भास्कर से इस खास बातचीत में यश के पैन इंडिया स्टार स्टेट्स और उनके विजन को एक्सप्लोर किया है। पेश हैं बातचीत का प्रमुख अंश
‘केजीएफ’में आपने लंबे समय तक शूट की। एक्टिंग के अलावा किस डिपार्टमेंट जुड़ते हैं?
मैं हर प्रॉसेस में जुड़ा होता हूं। मैं थिएटर बैकग्राउंड से हूं। वहां मेरे शुरूआती दिन रहे। उसने एक बात सिखाई। मेरे दिमाग में एक्टर का काम लास्ट में आता है। हमारे इधर हर डिपार्टमेंट का आदमी हर कुछ कर सकता है। पूरी टीम का मिशन होता है ऑडिएंस को एंटरटेन करना बस।
मैं डायरेक्टर के साथ बिगनिंग से रहता हूं। स्क्रिप्ट को समझता हूं पहले। उनके दिमाग में क्या है, वह समझे बिना हम अच्छी परफॉरमेंस नहीं दे सकते। ‘डायलॉग कैसे बोलूं’ मैं वह नहीं सोचता। उसके बजाय मैं सोचता हूं कि ये डायलॉग मैं क्यूं बोल रहा? मेरी एक्टिंग का प्रॉसेस वहां से शुरू होता है।
आप कैरेक्टर में कैसे ढले?
मेरा तरीका सिंपल है। मैं शूट शुरू होने से पहले से ही डायरेक्टर से जुड़ जाता हूं। उनकी तरह मेरा भी टेंशन रहता है कि सीन बेहतर कैसे आए? टीम के तौर पर काम करता हूं कि सीन विशेष में हमें किस तरह के इमोशन चाहिए? वह सब मुझे पता चलता है तो ही परफॉर्मेंस में वह बात आती है।
केजीएफ के बाद कितनी हिंदी फिल्में ऑफर हुईं?
नहीं। वैसा तो नहीं हुआ। खुले दिल और दिमाग के साथ ज्यादातर प्रोड्यूसर आ रहे थे। ऐसा नहीं कहूंगा कि मेरे पास तो इतने सारे लोग आ गए थे। न सिर्फ हिंदी, बल्कि इंडिया के सारे पाट्र्स से ऑफर आए थे।
तो आप की विशुद्ध बॉलीवुड डेब्यू हम कब एक्सपेक्ट करें?
मैं बॉलीवुड, टॉलीवुड में यकीन नहीं रखता। साथ ही हिंदी का डायरेक्टर हमारे इधर की कहानी या इमोशन कहना चाहे तो वह हिंदी या कन्नड़ा नहीं, इंडियन सिनेमा होगा। वह इसलिए कि हर लैंग्वेज में सेम पैटर्न फॉलो होना है। फिर भी अगर हम लैंग्वेज विशेष में सिनेमा केटर कर सकते हैं तो वह कहीं और क्यों जाए? उसके बजाय हम एक सिनेमा बनाएंगे, उसे हर मुमकिन भाषा में लाएंगे।
एक्टिंग के अलावा फिल्म में किन चीजों का योगदान है?
फिल्म के म्युजिक पर बहुत काम हुआ है। मेरे म्यूजिक डायरेक्टर मने छोटे छोटे साउंड इफेक्ट्स के लिए ढेर सारे इंटरनेशनल साउंड क्रिएटर्स को अप्रोच किया। इस फ्रंट पर हॉलीवुड वाले बजट यूज हुए हैं। रवि बसरूर ने तो कनार्टक के छोटे से गांव बसरूर में स्टूडियो सेट-अप किया था। हम सबने उस छोटे से गांव में जाकर काम किया। वो अपने म्यूजिक से हमारे परफॉरमेंस को नेक्स्ट लेवेल पर ले गए।
फिल्म के दूसरे पार्ट पर नया लड़का है उज्जवल। चैप्टर1 में सेलिब्रेशन के वक्त वह थिएटर के पास खड़ा था। उसका फोटो देखकर मैं भी चौंक गया। वह हमारे फिल्म का एडिटर है। यूट्यूब में वह केजीएफ का फैन वीडियोज बनाता था। वह देखकर हमारी टीम से निकिता ने हायर किया। उसे ट्रेन किया और एडिट का काम दे दिया।