नई दिल्ली,(नेशनल थॉट्स ) – प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को अहोई अष्टमी का व्रत रखा जाता है। इस दिन हर मां अपनी संतान की दीर्घायु, सुख, और समृद्धि की कामना करती हैं और वे निर्जला व्रत रखती हैं। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है, क्योंकि अहोई माता मां पार्वती के स्वरूप हैं।
Ahoi Ashtami पर ये करें
संतान की कामना रखने वाले दम्पत्तियों के लिए यह पौराणिक मान्यता है कि कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी की मध्य रात्रि को गोवर्धन परिक्रमा मार्ग में स्थित राधाकुण्ड में नि:संतान दंपत्ति यदि एक साथ स्नान करते हैं तो उन्हें सर्वगुण संपन्न संतान की प्राप्ति हो जाती है।
शास्त्रों में बताया गया है कि व्रत के दिन भगवान शिव और माता पार्वती के साथ-साथ उनके पूरे परिवार की पूजा करें। जिन स्त्रियों की संतान को शारीरिक कष्ट हो, स्वास्थ्य ठीक न रहता हो या बार-बार बीमार पड़ते हों अथवा किसी भी कारण से माता-पिता को अपनी संतान की ओर से चिंता बनी रहती हो, तो माता द्वारा कल्याणकारी अहोई की पूजा-अर्चना व व्रत करने से संतान को विशेष लाभ मिलता है,बच्चे कभी कष्ट में नहीं पड़ते।
अहोई अष्टमी कथा सुनते समय सात प्रकार के अनाज को अपनी हथेली में रखें और कथा के बाद उस अनाज में थोड़ा सा और अनाज मिलकर गाय को खिला दें, ऐसा करने से जीवन के कष्ट दूर होते हैं।
पूजा के समय माताएं अपने पुत्र या पुत्री को अपने साथ बिठाएं। फिर भोग अर्पित करने के बाद प्रसाद का पहला हिस्सा बच्चों को दें।
इस दिन गरीब बच्चों को जरूरत का सामान व भोजन कराने से आपके बच्चों पर आए हुए संकट टल जाते हैं।Ahoi Ashtami के दिन ये न करें
इस दिन व्रती को काले या नीले रंग के वस्त्र बिल्कुल नहीं पहनने चाहिए। इस प्रकार के वस्त्र पूजा में अशुभ माने गए हैं।
इस दिन व्रत करने वाली महिलाएं इस बात का ध्यान रखें कि वह मिट्टी से जुड़ा कोई काम न करें। इसके साथ बगीचे में भी किसी भी प्रकार की खुदाई,गुड़ाई का कार्य बिलकुल न करें ।
व्रत के दिन किसी भी प्रकार की नुकीली चीज को हाथ न लगाएं। इस दिन न ही सिलाई का काम आदि करें और न ही चाकू से कोई काम करें ।
इस दिन परिवार में विवाद या झगड़े से बचना चाहिए। भूलकर भी किसी का अपमान न करें।
शास्त्रों में दिन में सोना शुभ नहीं बताया गया है। अहोई अष्टमी के दिन व्रत पारण से पहले सोना वर्जित है।
इस दिन परिवार के लिए सात्विक भोजन ही पकाएं। लहसुन-प्याज के इस्तेमाल से बचना चाहिए।पूजा के बाद व्रती को भी शुद्ध सात्विक भोजन ही करना चाहिए।
संतान की कामना रखने वाले दम्पत्तियों के लिए यह पौराणिक मान्यता है कि कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी की मध्य रात्रि को गोवर्धन परिक्रमा मार्ग में स्थित राधाकुण्ड में नि:संतान दंपत्ति यदि एक साथ स्नान करते हैं तो उन्हें सर्वगुण संपन्न संतान की प्राप्ति हो जाती है।
शास्त्रों में बताया गया है कि व्रत के दिन भगवान शिव और माता पार्वती के साथ-साथ उनके पूरे परिवार की पूजा करें। जिन स्त्रियों की संतान को शारीरिक कष्ट हो, स्वास्थ्य ठीक न रहता हो या बार-बार बीमार पड़ते हों अथवा किसी भी कारण से माता-पिता को अपनी संतान की ओर से चिंता बनी रहती हो, तो माता द्वारा कल्याणकारी अहोई की पूजा-अर्चना व व्रत करने से संतान को विशेष लाभ मिलता है,बच्चे कभी कष्ट में नहीं पड़ते।
अहोई अष्टमी कथा सुनते समय सात प्रकार के अनाज को अपनी हथेली में रखें और कथा के बाद उस अनाज में थोड़ा सा और अनाज मिलकर गाय को खिला दें, ऐसा करने से जीवन के कष्ट दूर होते हैं।
पूजा के समय माताएं अपने पुत्र या पुत्री को अपने साथ बिठाएं। फिर भोग अर्पित करने के बाद प्रसाद का पहला हिस्सा बच्चों को दें।
इस दिन गरीब बच्चों को जरूरत का सामान व भोजन कराने से आपके बच्चों पर आए हुए संकट टल जाते हैं।Ahoi Ashtami के दिन ये न करें
इस दिन व्रती को काले या नीले रंग के वस्त्र बिल्कुल नहीं पहनने चाहिए। इस प्रकार के वस्त्र पूजा में अशुभ माने गए हैं।
इस दिन व्रत करने वाली महिलाएं इस बात का ध्यान रखें कि वह मिट्टी से जुड़ा कोई काम न करें। इसके साथ बगीचे में भी किसी भी प्रकार की खुदाई,गुड़ाई का कार्य बिलकुल न करें ।
व्रत के दिन किसी भी प्रकार की नुकीली चीज को हाथ न लगाएं। इस दिन न ही सिलाई का काम आदि करें और न ही चाकू से कोई काम करें ।
इस दिन परिवार में विवाद या झगड़े से बचना चाहिए। भूलकर भी किसी का अपमान न करें।
शास्त्रों में दिन में सोना शुभ नहीं बताया गया है। अहोई अष्टमी के दिन व्रत पारण से पहले सोना वर्जित है।
इस दिन परिवार के लिए सात्विक भोजन ही पकाएं। लहसुन-प्याज के इस्तेमाल से बचना चाहिए।पूजा के बाद व्रती को भी शुद्ध सात्विक भोजन ही करना चाहिए।