नई दिल्ली,(नेशनल थॉट्स ) – इस साल, 5 नवंबर को अहोई अष्टमी का व्रत मनाया जा रहा है, जो कि हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर आयोजित होता है।
अहोई अष्टमी 2023: तिथि और समय
अष्टमी तिथि की शुरुआत 4 नवंबर की मध्यरात्रि 1 बजे से हो रही है, और इसका समापन 5 नवंबर को देर रात 3 बजकर 19 मिनट पर होगा। व्रत का समापन उदया तिथि, यानी 5 नवंबर, रविवार के दिन होगा, जिससे इस दिन का व्रत और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। इस दिन, रवि पुष्य योग का भी शुभ संयोग बन रहा है, और इस योग के दिन किया गया व्रत विशेष फल प्रदान कर सकता है।
व्रत का महत्व
अहोई अष्टमी के दिन, व्रत का महत्व अत्यधिक होता है और लोग इसे विशेष भक्ति और आस्था के साथ मनाते हैं। इस दिन को विशेष धार्मिक अर्थ और मान्यता के साथ देवी अहोई की पूजा करने के लिए चुना जाता है।अहोई अष्टमी के दिन जिन गलतियों से बचना चाहिए
- इस दिन किसी को झूला झूलने नहीं देना चाहिए।
- शास्त्रों में धार्मिक कार्यों का आचरण करने का सुझाव दिया गया है, जैसे कि विद्वेष्यों से विवाद नहीं करना चाहिए।
- किसी को धोखा न देना चाहिए और ईमानदारी से चलना चाहिए।
इन चीजों के इस्तेमाल से बचें
अहोई अष्टमी के दिन सुई, कील जैसी नुकीली चीजों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। इन चीजों का इस्तेमाल करने से पूजा का शुभ फल प्राप्त नहीं होगा।लड़ाई-झगड़े से रहें दूर
अहोई अष्टमी के दिन किसी से भी लड़ाई-झगड़ा करने से बचें। साथ ही किसी बड़े का अपमान न करें। ऐसा करने से भगवान नाराज हो सकते हैं।
अहोई अष्टमी के दिन सुई, कील जैसी नुकीली चीजों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। इन चीजों का इस्तेमाल करने से पूजा का शुभ फल प्राप्त नहीं होगा।लड़ाई-झगड़े से रहें दूर
अहोई अष्टमी के दिन किसी से भी लड़ाई-झगड़ा करने से बचें। साथ ही किसी बड़े का अपमान न करें। ऐसा करने से भगवान नाराज हो सकते हैं।
इस लोटे से दें अर्घ्य
अहोई अष्टमी व्रत का पारण रात में तारों को अर्घ्य देकर किया जाता है। ऐसे में तारों को अर्घ्य देने के लिए चांदी से बने लोटे का इस्तेमाल करें। लेकिन ध्यान रहे कि अर्घ्य देने के लिए तांबे से बने बर्तन का इस्तेमाल न करें।
अहोई अष्टमी व्रत का पारण रात में तारों को अर्घ्य देकर किया जाता है। ऐसे में तारों को अर्घ्य देने के लिए चांदी से बने लोटे का इस्तेमाल करें। लेकिन ध्यान रहे कि अर्घ्य देने के लिए तांबे से बने बर्तन का इस्तेमाल न करें।