कांग्रेस की मध्य प्रदेश इकाई में हाल ही में हुए फेरबदल ने पार्टी के भीतर मतभेदों को जन्म दे दिया है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता अजय सिंह ने कहा है कि पार्टी की गिरावट के लिए जिम्मेदार नेता अभी भी प्रभावशाली पदों पर हैं। उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्रियों कमलनाथ और दिग्विजय सिंह पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए कहा कि पिछले दो दशकों से पार्टी की दयनीय स्थिति के लिए जिम्मेदार लोग ही अब भी निर्णय लेने में शामिल हैं।
अजय सिंह ने कहा, “मध्य प्रदेश में कांग्रेस के पुनर्गठन में वही लोग शामिल हैं जो इसके पतन के लिए जिम्मेदार हैं। यह कांग्रेस का दुर्भाग्य है।” उन्होंने यह भी बताया कि नए प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीसीसी) के प्रमुख की नियुक्ति के बाद पार्टी को फिर से संगठित करने में एआईसीसी नेतृत्व को लगभग चार महीने लग गए। उन्होंने उम्मीद जताई थी कि इस बदलाव से पार्टी में नई जान आएगी, लेकिन परिणाम निराशाजनक हैं
अजय सिंह ने यह भी कहा कि जो लोग पार्टी के आधार को खत्म करने के लिए जिम्मेदार हैं, वे ही अब भी प्रभावशाली हैं। उन्होंने कहा, “फिर, केवल भगवान ही पार्टी को बचा सकते हैं।” इस पर कांग्रेस प्रवक्ता मुकेश नायक ने कहा, “हम उनसे बात करेंगे,” जिससे यह स्पष्ट होता है कि पार्टी इस मुद्दे को गंभीरता से ले रही है।
तीन दिन पहले ही अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने मध्य प्रदेश में कांग्रेस का पुनर्गठन किया था। इस पुनर्गठन में 17 उपाध्यक्ष, 71 महासचिव, और 16 कार्यकारी समिति के सदस्यों का चयन किया गया। सूत्रों के अनुसार, नवनियुक्त उपाध्यक्षों में से आधे श्री नाथ के खेमे से हैं, जबकि महासचिवों में से 50 प्रतिशत से अधिक उनके वफादार हैं। दिग्विजय सिंह और जीतू पटवारी के खेमों से भी कई नए महासचिव शामिल किए गए हैं।
इस तरह के घटनाक्रम से स्पष्ट है कि कांग्रेस में अंदरूनी मतभेद गहराते जा रहे हैं, जो आगामी चुनावों में पार्टी की संभावनाओं को प्रभावित कर सकते हैं।