आज अखुरथ गणेश चतुर्थी व्रत है, जो संकष्टी के दिन भगवान गणेश की पूजा करने से न केवल घर के नकारात्मक प्रभाव दूर होते हैं, बल्कि जीवन में सुख और समृद्धि भी आती है। इस व्रत का विशेष महत्व है और इसके माध्यम से घर की सारी विपदाएं भी समाप्त हो जाती हैं। आइए, जानते हैं अखुरथ गणेश चतुर्थी व्रत का महत्व और पूजा विधि।
गणेश चतुर्थी व्रत का महत्व
आज, यानी 18 दिसंबर, बुधवार को पौष मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि है, जो गणेश चतुर्थी व्रत का पर्व है। इस दिन भक्त दिनभर निराहार रहते हैं, भगवान गणेश की पूजा करते हैं, और भगवान की कथाओं को पढ़ते-सुनते हैं। शाम को चंद्र दर्शन के बाद चंद्र पूजा और गणेश पूजा करके व्रत का समापन करते हैं। बुधवार और गणेश चतुर्थी के योग में भगवान गणेश के साथ-साथ बुध ग्रह के लिए भी विशेष पूजा की जानी चाहिए। पंडितों के अनुसार, इस दिन भगवान गणेश की विधिपूर्वक पूजा करने से जीवन में सुख-शांति बनी रहती है और सभी दुख दूर होते हैं।
अखुरथ गणेश चतुर्थी व्रत से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन व्रत रखने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं। यदि संभव हो तो निराहार रहें, और यदि भूखा रहना मुश्किल हो तो फलाहार करें। शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद गणेश पूजन करें और व्रत को पूरा करें। इस दिन जरूरतमंदों को ऊनी कपड़े, भोजन और दक्षिणा दान करें। परिवार के साथ गणेश पूजा करने से घर में शांति, सुख और एकता बनी रहती है।
अखुरथ गणेश चतुर्थी व्रत की पूजा विधि
हिंदू धर्म में अखुरथ गणेश चतुर्थी का विशेष महत्व है। इस दिन पूजा करने का सही तरीका है:
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और गणेश जी की मूर्ति या तस्वीर के सामने दीपक और धूप जलाएं।
जल, दूध, पंचामृत, हार-फूल, वस्त्र और दूर्वा (दूब) अर्पित करें।
लाल फूल, मोदक, गुड़ और नारियल चढ़ाएं और ऊँ गं गणपतये नमः मंत्र का जप करें।
गणपति को दूर्वा की 21 गांठ चढ़ानी चाहिए।
शुभ मुहूर्त में पूजा करें और भगवान गणेश को तिल के लड्डू और मोदक का भोग अर्पित करें।
पूजा के बाद, व्रत का संकल्प लें और सूर्यास्त के बाद पारण करें।
भजन कीर्तन करें और भगवान गणेश का आशीर्वाद प्राप्त करें।
इस दिन की पूजा से घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली का वास होता है।