आमलकी एकादशी का महत्व: रंगभरी एकादशी को आमलकी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। यह एकादशी तिथि भगवान विष्णु के समर्पण में होती है, लेकिन इस दिन भगवान शिव और मां गौरी की पूजा का भी खास महत्व है। रंगभरी एकादशी के दिन काशी में विशेष रौनक देखने को मिलती है, और इस दिन भगवान शिव का गौना काशी लाने का भी उत्साह मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती को समर्पित होता है।
आमलकी एकादशी के दिन कैसे करें भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा:
- शुभ मुहूर्त:
- एकादशी तिथि प्रारंभ: 20 मार्च, दोपहर 12 बजकर 21 मिनट से
- एकादशी तिथि समाप्त: 21 मार्च, सुबह 02 बजकर 22 मिनट पर
- पूजा विधि:
- सुबह उठकर स्नान करें और पूजा का संकल्प लें।
- एक बर्तन में जल भरकर शिव मंदिर जाएं।
- अबीर, गुलाल, चंदन और बेलपत्र सहित आवश्यक सामग्री लेकर जाएं।
- शिवलिंग पर चंदन लगाएं और फिर बेलपत्र और जल अर्पित करें।
- अबीर और गुलाल चढ़ाएं और भोलेनाथ को भोग लगाएं।
- आपकी सभी परेशानियां दूर होने की प्रार्थना करें और महादेव-पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त करें।
आमलकी एकादशी के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से व्यक्ति को अधिक आनंद, शांति और समृद्धि मिलती है। इस दिन की पूजा और व्रत को ध्यान से और श्रद्धापूर्वक करने से व्यक्ति को धार्मिक और आध्यात्मिक उन्नति मिलती है।