इन दिनों देश में शिव मंदिर को लेकर विवाद हो रहा है, लेकिन इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी अजमेर शरीफ दरगाह पर औपचारिक चादर भेजने जा रहे हैं। यह प्रधानमंत्री मोदी की वार्षिक परंपरा बन चुकी है, जिसे वे इस साल 11वीं बार निभाएंगे। अब तक, पीएम मोदी 10 बार अजमेर शरीफ दरगाह पर चादर भेज चुके हैं।
अजमेर शरीफ दरगाह और शिव मंदिर विवाद
यह कदम राजस्थान की एक अदालत द्वारा हिंदू सेना की याचिका स्वीकार किए जाने के बाद उठाया गया है, जिसमें दावा किया गया था कि अजमेर शरीफ दरगाह वास्तव में एक शिव मंदिर है। पिछले साल, अजमेर दरगाह विवाद का केंद्र बन गई थी जब एक स्थानीय अदालत ने सिविल मुकदमे में तीन पक्षों को नोटिस जारी किया था, जिसमें दावा किया गया था कि दरगाह के भीतर शिव मंदिर है।
पीएम मोदी की चादर चढ़ाने की परंपरा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 से लेकर अब तक हर साल अजमेर शरीफ दरगाह पर चादर चढ़ाई है। पिछले साल, 812वें उर्स के दौरान, उनकी ओर से केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी और जमाल सिद्दीकी ने चादर पेश की थी।
अजमेर शरीफ का महत्व और उर्स
अजमेर शरीफ दरगाह भारत के सबसे बड़े सूफी तीर्थस्थलों में से एक है, जहां हर साल लाखों श्रद्धालु उर्स के अवसर पर आते हैं। यह आयोजन ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की पुण्यतिथि के रूप में मनाया जाता है। इस साल, 813वां उर्स 28 दिसंबर 2024 को शुरू हुआ और इसे श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जा रहा है।
आशा और आशीर्वाद की परंपरा
उर्स के दौरान चादर चढ़ाना पूजा का एक शक्तिशाली रूप माना जाता है। श्रद्धालु इसे आशीर्वाद प्राप्त करने और मन्नतें पूरी करने का एक तरीका मानते हैं।