गृह मंत्री अमित शाह ने रायपुर में माओवादी खतरे को लेकर एक बैठक के दौरान नक्सलियों के खिलाफ निर्णायक हमले की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि नक्सली हिंसा लोकतंत्र के लिए एक बड़ी चुनौती है और अब तक इस हिंसा के कारण 17 हजार से अधिक लोगों की जान जा चुकी है।
अमित शाह ने दावा किया कि 2004-14 की तुलना में 2014-24 के दौरान नक्सली घटनाओं में 53 प्रतिशत की कमी आई है। उन्होंने आश्वासन दिया कि सरकार की योजना है कि मार्च 2026 तक देश को वामपंथी उग्रवाद से मुक्त कर दिया जाएगा।
गृह मंत्री ने नक्सलियों से अपील की कि वे हिंसा छोड़कर आत्मसमर्पण करें। उन्होंने बताया कि पहले 10 वर्षों में 6,617 सुरक्षाकर्मी और नागरिकों की मौत हुई थी, जबकि अब इसमें 70% की कमी आई है। शाह ने विश्वास व्यक्त किया कि हमारी लड़ाई अंतिम चरण में पहुंच चुकी है और मार्च 2026 तक नक्सल समस्या का पूरी तरह से समाधान हो जाएगा।
बैठक में अमित शाह ने यह भी कहा कि नक्सल प्रभावित जिलों में भारत सरकार और छत्तीसगढ़ सरकार की सभी योजनाओं का 100% क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जाएगा। उन्होंने बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की प्रगति और चुनौतियों को दूर करने के लिए विशेष योजनाओं की चर्चा की।
भाजपा नेता ने कहा कि वामपंथी उग्रवाद की समस्या पर अंतिम प्रहार के लिए एक मजबूत रणनीति की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने बैठक में कुछ महत्वपूर्ण फैसले भी लिए हैं, जिनमें निरक्षर लोगों को साक्षर बनाने के लिए अभियान चलाना शामिल है।
इसके अलावा, तेंदूपत्ता की खरीदी में अमूलचूल परिवर्तन की बात की गई है। शाह ने कहा कि संयुक्त टास्क फोर्स बनाने, सूचनाओं के आदान-प्रदान का खाका मजबूत करने और राज्यों के बीच समन्वय बढ़ाने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। जनगणना को लेकर उचित समय पर घोषणा की जाएगी, जब निर्णय लिया जाएगा, तब इसकी जानकारी दी जाएगी।