मुंबई के पूर्व विधायक और महाराष्ट्र सरकार के पूर्व मंत्री, एनसीपी नेता (अजित पवार गुट) की बांद्रा में गोली मारकर हत्या कर दी गई। इस हत्या की जिम्मेदारी कुख्यात गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई ने ली है। घटना के 10 घंटे बाद फेसबुक पर एक पोस्ट के जरिए यह दावा किया गया, जिसमें लिखा गया कि जो भी सलमान खान और दाऊद इब्राहिम का साथ देगा, उसे मौत के घाट उतारा जाएगा। इस बयान ने मीडिया में सनसनी फैला दी, और बिश्नोई गैंग की चर्चा तेज हो गई।
लॉरेंस बिश्नोई वर्तमान में गुजरात के अहमदाबाद में साबरमती सेंट्रल जेल में बंद है। सलमान खान के आवास पर हुई गोलीबारी में उसकी संलिप्तता सामने आई थी, जिसके बाद मुंबई पुलिस ने उसे हिरासत में लेने के लिए कई प्रयास किए। लेकिन केंद्रीय गृह मंत्रालय के आदेश के कारण मुंबई पुलिस को बिश्नोई को अहमदाबाद से बाहर ले जाने की अनुमति नहीं मिली।
अगस्त 2023 में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बिश्नोई की आपराधिक गतिविधियों को देखते हुए उस पर प्रतिबंध बढ़ा दिया। यह प्रतिबंध अगस्त 2025 तक लागू रहेगा। बिश्नोई को जेल से बाहर न ले जाने का आदेश भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 303 के तहत दिया गया है, जो सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए सरकार को विशेष अधिकार प्रदान करती है।
बीएनएसएस की धारा 303 के तहत, सरकार को अधिकार है कि वह किसी कैदी की गतिविधियों पर रोक लगा सके, यदि वह सुरक्षा या सार्वजनिक व्यवस्था के लिए खतरा हो। यह प्रावधान सीआरपीसी की पुरानी धारा 268 से मिलता-जुलता है, जिसके तहत किसी कैदी को जेल से बाहर ले जाने पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है।
डीआईजी श्रीमाली के अनुसार, अगर किसी पुलिस या एजेंसी को लॉरेंस बिश्नोई से पूछताछ करनी है, तो उन्हें न्यायिक आदेश लेना होगा और यह पूछताछ जेल परिसर में ही की जाएगी। फिलहाल, किसी भी जांच एजेंसी से ऐसा कोई अनुरोध नहीं आया है।