पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को महिलाओं की सुरक्षा के लिए प्रभावी कानून लागू करने में विफल रहने के आरोप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, और उन सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के इस्तीफे की मांग की, जहां हाल ही में बलात्कार और यौन शोषण की घटनाएं सामने आई हैं। ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल विधानसभा में “अपराजिता महिला एवं बाल विधेयक (पश्चिम बंगाल आपराधिक कानून और संशोधन) विधेयक 2024” पेश करते हुए कहा कि इस विधेयक का उद्देश्य त्वरित जांच, त्वरित न्याय, और दोषियों को कड़ी सजा दिलाना है।
ममता ने विधानसभा में बताया कि उन्होंने प्रधानमंत्री को दो पत्र लिखे, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। उन्होंने न्याय संहिता विधेयक के जल्दबाजी में पारित होने का भी विरोध किया था और इसे राज्यों से सलाह-मशविरा करके पारित करने की मांग की थी।
जब बीजेपी विधायकों ने ममता के इस्तीफे की मांग की, तो उन्होंने पलटवार करते हुए कहा कि अगर यही मापदंड है, तो प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के भी इस्तीफे की मांग की जानी चाहिए। ममता ने उत्तर प्रदेश और गुजरात जैसे राज्यों में महिलाओं के खिलाफ अपराधों की उच्च दर का हवाला देते हुए पश्चिम बंगाल में महिलाओं को न्याय मिलने का दावा किया।
ममता बनर्जी ने बताया कि इस विधेयक के तहत महिलाओं के उत्पीड़न और बलात्कार के मामलों में कड़ी से कड़ी सजा दी जाएगी। इसमें POCSO एक्ट को और सख्त किया गया है और बलात्कारियों के लिए मौत की सजा का प्रावधान किया गया है यदि उनके कृत्य से पीड़िता की मौत हो जाती है या गंभीर मानसिक क्षति होती है। इस विधेयक के तहत “अपराजिता टास्क फोर्स” का गठन किया जाएगा, जो 21 दिनों के भीतर दोषियों को सजा दिलाने के लिए काम करेगी।
ममता ने बताया कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए नर्सों और महिला डॉक्टरों की यात्रा के रास्तों को सुरक्षित करने के लिए 120 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं। हर जगह सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे और रात में काम करने वाली महिलाओं को पूरी सुरक्षा दी जाएगी।
विधानसभा से पारित होने के बाद यह विधेयक राज्यपाल और फिर राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा, जिसके बाद यह कानून लागू होगा। ममता बनर्जी ने इसे एक ऐतिहासिक कदम बताते हुए कहा कि हर राज्य इसे मॉडल बनाएगा, और प्रधानमंत्री जो नहीं कर पाए, वह पश्चिम बंगाल कर रहा है।