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दिल्ली-मुंबई स्मार्ट सिटी हैं या तालाब सिटी? दिल्ली एयरपोर्ट की छत नहीं, हमारी साख गिरी है

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हम विकसित भारत के संकल्प को सिद्ध करने की दिशा में आगे बढ़ने का दावा कर रहे हैं। हम यह भी दावा कर रहे हैं कि हमारे कई शहर जल्द ही स्मार्ट सिटी बनने जा रहे हैं, लेकिन हकीकत क्या है, यह कुछ तस्वीरों के माध्यम से ही समझ आ सकता है। मानसून के इस मौसम में हमारे बड़े महानगरों ही नहीं, छोटे शहरों तक में दिखता बदहाली का आलम हमारी सरकारों की ओर से किए जाने वाले विकास के तमाम दावों पर सवालिया निशान लगा रहा है। सवाल उठ रहा है कि मानसून से पहले ‘सारी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं’ का दावा करने वाली राज्य सरकारें और नगर निगम हर साल क्यों सोए रहते हैं? राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और आर्थिक राजधानी मुंबई से बारिश के मौसम में हर साल जो तस्वीरें सामने आती हैं, वह राज्य सरकारों और नगर निगमों की नाकामी का ही परिणाम है। मानसून में ऐसा लगता है कि हमारे महानगर स्मार्ट सिटी नहीं, तालाब सिटी हैं।

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में पहली ही बारिश में आम आदमी परेशान नहीं हुआ है, बल्कि सांसदों तक को अपने घरों के अंदर जाने और घर से बाहर आने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। यही नहीं, दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे की छत का एक हिस्सा ढहने और वहां एक मृत्यु होने की खबर इस समय अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में भी आ गई है। यह घटना जितनी दुखद है, उतनी ही शर्मसार कर देने वाली भी है क्योंकि हवाई अड्डे की देखरेख और सुरक्षा के लिए इतना भारी अमला तैनात रहने के बावजूद सवाल उठता है कि कैसे किसी का ध्यान छत की हालत पर पहले नहीं गया? देखा जाए तो हवाई अड्डे की छत नहीं, बल्कि हमारी साख गिरी है। केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ने घटनास्थल का दौरा कर लिया, हादसे की जांच के आदेश दे दिए, मृतक के परिजनों और घायलों के लिए मुआवजे का ऐलान कर दिया, लेकिन क्या इतना ही काफी है? जिस जीएमआर कंपनी का यह निर्माण बताया जा रहा है, क्या उसके किसी अधिकारी की गिरफ्तारी होगी? क्या उस पर कोई मुकदमा चलाया जाएगा? भविष्य में ऐसा हादसा दोबारा नहीं होगा, क्या इसकी कोई गारंटी देगा? अगर इन सब सवालों का जवाब नहीं में है तो सरकारों को जनता को बड़े-बड़े सपने दिखाना बंद कर देना चाहिए।

बहरहाल, दिल्ली में विभिन्न मार्गों पर जिस तरह ट्रैफिक जाम लगा हुआ है, मेट्रो स्टेशनों पर पानी भरने की खबरें आ रही हैं, लोगों के घरों में पानी भर जाने से सामान को क्षति पहुँची है और रेल-हवाई यातायात थम गया है, उससे आम जनता को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। दिल्ली सरकार और नगर निगम को चाहिए कि वह अपनी नाकामियों का दोष दूसरों पर मढ़ने या राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप में उलझने की बजाय अपने अधिकारियों को ग्राउण्ड जीरो पर उतार कर हालात को जल्द से जल्द सामान्य करवाने का प्रयास करे।

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