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असम त्रासदी: प्रतिबंध के बाद भी कैसे जारी रही रैट होल माइनिंग?

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असम के दीमा हसाओ जिले में एक अवैध कोयला खदान में फंसे खनिकों को बचाने के लिए चौथे दिन भी बचाव अभियान जारी है। राज्य और केंद्रीय एजेंसियां इस अभियान में जुटी हुई हैं। असम पुलिस के अनुसार, पूरी रात पानी निकालने के बाद सुबह से रिमोट ऑपरेटेड व्हीकल (ROV) का उपयोग कर पानी भरे शाफ्ट की जांच की गई। यह घटना गुवाहाटी से करीब 250 किलोमीटर दूर उमरंगसो क्षेत्र में सोमवार को हुई, जब अचानक पानी भर जाने से खनिक अंदर फंस गए।
खदान कर्मचारियों के अनुसार, घटना के समय खदान में लगभग 15 श्रमिक मौजूद थे। बुधवार को सेना के गोताखोरों ने एक शव बरामद किया।

क्या है रैट होल खनन?

रैट होल खनन कोयला निकालने की एक खतरनाक और अवैध तकनीक है। इसमें चूहे के बिल जैसे संकरे गड्ढे बनाए जाते हैं, जिनमें एक व्यक्ति प्रवेश कर सकता है।

खनिक गड्ढे के माध्यम से रस्सी या बांस की सीढ़ी से नीचे उतरते हैं।

कोयला निकालने के लिए फावड़े और टोकरियों जैसे आदिम उपकरणों का उपयोग किया जाता है।

गहरे कुएं में मज़दूरों को क्रेन से लोहे के बक्सों में बिठाकर भेजा जाता है।

संचार के लिए वॉकी-टॉकी और बैटरी चालित लाइट का उपयोग होता है।

अवैध खनन पर सवाल

2014 में राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने रैट होल खनन पर प्रतिबंध लगा दिया था। बावजूद इसके, यह खतरनाक गतिविधि पूर्वोत्तर में जारी है। असम की घटना में मज़दूरों ने बताया कि खदान के शाफ्ट खोदने के दौरान पास के कुएं से टकराने पर अचानक पानी भर गया।

मुख्यमंत्री का बयान और जांच

मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने घटना की जांच के आदेश दिए हैं। एफआईआर दर्ज कर ली गई है, और कुछ गिरफ्तारियां भी की गई हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि दोषियों को जल्द से जल्द सजा दिलाई जाएगी।

आगे की राह

इस घटना ने मजदूरों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। जब तक दोषियों को कड़ी सजा नहीं मिलेगी, तब तक ऐसी घटनाएं दोहराई जा सकती हैं। असम सरकार को चाहिए कि अवैध खनन पर सख्ती से रोक लगाए और मजदूरों की सुरक्षा सुनिश्चित करे।

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