नई दिल्ली (नेशनल थॉट्स) : नई दिल्ली (नेशनल थॉट्स) : चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करने के लिए लैंडर विक्रम पूरी तरह तैयार है। पूरी दुनिया की निगाह इस समय चंद्रयान-3 मिशन (Chandrayaan-3) पर है। अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत आज एक मील के पत्थर को छूने जा रहा है, जिसकी परिकल्पना इसरो के वैज्ञानिकों ने कई सालों पहले किया था।
आज चंद्रयान 3 की चंद्रमा के साउथ पोल पर सॉफ्ट-लैंडिंग हो जाती है तो ऐसा करने वाला भारत दुनिया का पहला देश बन जाएगा। वहीं, अमेरिका, चीन और तत्कालीन सोवियत संघ के बाद भारत चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला चौथा देश बन जाएगा। चंद्रयान-2 के विफल होने के बाद चंद्रयान-3 मिशन को 14 जुलाई को लॉन्च किया गया था। 5 अगस्त को चंद्रयान-3 चंद्रमा की ऑर्बिट चंद्रमा में प्रवेश किया था।
चंद्रयान 3: सॉफ्ट लैंडिंग VS हार्ड लैंडिंग
- सॉफ्ट लैंडिंग वह जगह है जहां अंतरिक्ष यान नियंत्रित तरीके से नीचे उतरता है। लैंडिंग के दौरान स्पीड कम होगी और अंतरिक्ष यान लगभग 0 की स्पीड से चांद की सतह को छुएगा।
- हार्ड लैंडिंग एक क्रैश लैंडिंग है, जहां अंतरिक्ष यान सतह से टकराते ही नष्ट हो जाता है।
- चार साल पहले चंद्रयान 2 सॉफ्ट लैंडिंग के दौरान फेल हो गया था।
- चंद्रयान 2 के मिशन के फेल होने के बाद इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने आश्वासन दिया कि चंद्रयान 3 की सॉफ्ट लैंडिंग होगी।
कितनी स्पीड में होगा अंतरिक्ष यान?
- चंद्रयान-3, 30 किमी की ऊंचाई से 1.68 किमी प्रति घंटे की गति से उतरना शुरू होगा।
- जब अंतरिक्ष यान चंद्रमा की सतह पर पहुंचेगा तब इसकी स्पीड लगभग 0 हो जाएगी।
- आज अंतरिक्ष यान का चंद्रमा की सतह को टच करने का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है।
- जैसे अंतरिक्ष यान चांद की ओर बढ़ता जाएगा वैसे ही यह हॉरिजॉन्टल को वर्टिकल डायरेक्शन में टर्न हो जाएगा।
- यहीं पर चंद्रयान 2 को समस्या का सामना करना पड़ा था।