बेंगलुरु के 34 वर्षीय तकनीकी कर्मचारी अतुल सुभाष की आत्महत्या ने गुजारा भत्ता और दहेज उत्पीड़न के मुद्दे पर बहस छेड़ दी है। इसी संदर्भ में, सुप्रीम कोर्ट ने तलाक और गुजारा भत्ता तय करने के लिए एक आठ बिंदु आधारित फॉर्मूला प्रस्तुत किया।
अतुल सुभाष आत्महत्या मामला
अतुल सुभाष ने अपनी पत्नी और ससुराल वालों पर दहेज उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए आत्महत्या कर ली। उन्होंने 24 पन्नों के सुसाइड नोट में “न्याय मिलना चाहिए” लिखा।
आरोप: पत्नी और जौनपुर स्थित ससुराल वालों द्वारा उत्पीड़न।
प्रभाव: यह मामला देश में दहेज कानून के दुरुपयोग और गुजारा भत्ता से जुड़े मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करता है।
सुप्रीम कोर्ट का 8 सूत्रीय फॉर्मूला
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस पीवी वराले की बेंच ने तलाक और गुजारा भत्ता मामलों में आठ बिंदु तय किए:
पति-पत्नी की सामाजिक और आर्थिक स्थिति।
पत्नी और बच्चों की भविष्य की बुनियादी आवश्यकताएं।
दोनों पक्षों की योग्यता और रोजगार की संभावना।
आय और संपत्ति के स्रोत।
ससुराल में पत्नी का जीवन स्तर।
पत्नी ने परिवार की देखभाल के लिए नौकरी छोड़ी या नहीं।
काम न करने वाली पत्नी के लिए कानूनी लड़ाई की उचित राशि।
पति की वित्तीय स्थिति और अन्य जिम्मेदारियों को ध्यान में रखते हुए गुजारा भत्ता तय करना।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने दहेज उत्पीड़न के मामलों में सावधानी बरतने की आवश्यकता पर जोर दिया। अदालत ने कहा कि महिलाओं को ससुराल में क्रूरता से बचाने वाले कानूनों का ‘दुरुपयोग’ बढ़ रहा है और निर्दोष लोगों को बचाने के लिए यह आवश्यक है।
498 ए का दुरुपयोग: वरिष्ठ अधिवक्ता की राय
दिल्ली के वरिष्ठ अधिवक्ता विकास पाहवा ने भारतीय दंड संहिता की धारा 498 ए के दुरुपयोग पर चिंता जताई।
मुद्दा: 498 ए का उपयोग पैसे ऐंठने के लिए किया जा रहा है।
बयान: “पिछले तीन दशकों में हमने देखा है कि कैसे असंतुष्ट महिलाओं, कानूनी बिरादरी और पुलिस तंत्र ने इस कानून का दुरुपयोग किया है। यह हमारे समाज के सामाजिक ताने-बाने को प्रभावित कर रहा है।”
अतुल सुभाष की आत्महत्या और सुप्रीम कोर्ट के नए निर्देश ने दहेज उत्पीड़न और गुजारा भत्ता से जुड़े मामलों में न्यायिक पारदर्शिता को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। यह मामला समाज में कानून के दुरुपयोग पर गहन चर्चा का विषय बन चुका है।