पाकिस्तान के बलूचिस्तान में हालिया हमलों ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है। इस्लामाबाद से प्राप्त रिपोर्ट्स के अनुसार, रविवार रात और सोमवार सुबह बलूचिस्तान प्रांत में कम से कम छह घातक हमले हुए, जिसमें 74 से अधिक लोग मारे गए। सबसे भीषण हमला मुसाखेल जिले के राराशम इलाके में हुआ, जहां पंजाबी प्रवासी श्रमिकों को उनके वाहनों से खींचकर गोली मार दी गई। इन हमलों की जिम्मेदारी बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) ने ली है, जो बलूचिस्तान में दशकों से चल रहे सशस्त्र अलगाववादी आंदोलन के लिए जाना जाता है।
बीएलए ने दावा किया कि उसने सुरक्षा बलों को निशाना बनाया और पूरे प्रांत में राजमार्गों पर नियंत्रण कर लिया है। बलूचिस्तान में हिंसा की यह नई लहर उस समय आई है जब प्रांत के खनिज संसाधनों के दोहन और समुदाय की उपेक्षा को लेकर बलूच अलगाववादियों का आक्रोश चरम पर है। इस क्षेत्र में अलगाववादी आंदोलनों की शुरुआत 1947 में पाकिस्तान के गठन के बाद से हुई थी, और 2000 के दशक में इसकी तीव्रता और बढ़ गई।
इन हमलों के बीच, पाकिस्तानी सेना ने भी जवाबी कार्रवाई की और 21 आतंकवादियों को मार गिराने का दावा किया। सेना ने कहा कि इस दौरान 14 सुरक्षाकर्मी भी मारे गए हैं।
रविवार को बलूच युवाओं के समूह BYC ने “बलूच राजी मुची” का आह्वान किया था, जिसके जवाब में कानून प्रवर्तन अधिकारियों ने प्रमुख राजमार्गों को अवरुद्ध कर दिया। इस नाकेबंदी के चलते कई स्थानों पर झड़पें हुईं, जिसमें मस्तुंग जिले में सुरक्षा बलों की गोलीबारी में एक व्यक्ति की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए।
सोमवार को पाकिस्तानी सेना ने कहा कि ग्वादर में “हिंसक भीड़ द्वारा किए गए अकारण हमलों” में उसके एक सैनिक की मौत हो गई और 16 अन्य घायल हो गए। झड़पों के दौरान कई बलूच लोगों को गिरफ्तार भी किया गया।
पाकिस्तान की सेना और सरकार, जो इमरान खान को सत्ता से बाहर रखने में व्यस्त हैं, बलूचिस्तान में बढ़ते हमलों से चौंक गई हैं। बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए), जिसे पाकिस्तान ने एक आतंकवादी संगठन घोषित किया है, अब तक पाकिस्तानी सुरक्षा बलों को कड़ी चुनौती दे रही है। बीएलए का इतिहास 1970 के दशक में शुरू हुए सशस्त्र संघर्ष से जुड़ा है, जिसे 2006 में बलूच नेता अकबर खान बुगती की हत्या के बाद एक नई दिशा मिली।
चीन ने बलूचिस्तान में हुए आतंकवादी हमलों की कड़ी निंदा की है। चीनी विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान के आतंकवाद विरोधी अभियानों के प्रति समर्थन व्यक्त करते हुए कहा कि चीन क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा को बनाए रखने के लिए पाकिस्तान के साथ अपने सहयोग को और मजबूत करेगा। बलूचिस्तान में हिंसा की घटनाएं तब हुईं जब चीन के शीर्ष सैन्य अधिकारी जनरल ली किओमिंग पाकिस्तान के दौरे पर थे, जहां उन्होंने चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) की सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित किया।
बलूचिस्तान में हिंसा और तनाव की स्थिति पाकिस्तान के लिए एक बड़ी चुनौती बन चुकी है। बीएलए द्वारा उठाए गए हालिया हमले और उनके परिणामस्वरूप हुई मौतें पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा और स्थिरता पर गंभीर सवाल खड़े करती हैं। ऐसे में पाकिस्तान की सरकार और सेना के लिए यह आवश्यक है कि वे आंतरिक सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए बलूचिस्तान में शांति और स्थिरता सुनिश्चित करें।