इस्कॉन पर प्रतिबंध लगाने से इनकार, बांग्लादेश कोर्ट की सख्त नसीहत
बांग्लादेश उच्च न्यायालय ने गुरुवार को इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ कृष्णा कॉन्शसनेस (इस्कॉन) की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने की याचिका को खारिज कर दिया। याचिका में इस्कॉन पर प्रतिबंध लगाने और चट्टोग्राम, रंगपुर और दिनाजपुर में धारा 144 लागू करने की मांग की गई थी। अदालत ने सरकार से इस मामले में की गई कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी थी।
सरकारी जवाब और कार्रवाई
सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल के कार्यालय ने अदालत को सूचित किया कि इस्कॉन की गतिविधियों से जुड़े तीन मामलों में 33 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। अदालत ने सरकार को कानून-व्यवस्था बनाए रखने और नागरिकों के जीवन व संपत्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश दिया।
याचिका में लगाए गए आरोप
याचिका में इस्कॉन को “कट्टरपंथी संगठन” बताते हुए उस पर सांप्रदायिक अशांति फैलाने और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बनने का आरोप लगाया गया। एडवोकेट सैफुल इस्लाम की कथित हत्या को लेकर भी इस्कॉन को जिम्मेदार ठहराया गया।
गिरिराज सिंह का बयान
भारत के केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने इस मुद्दे पर बांग्लादेश की सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि वहां हिंदुओं पर हमले “कट्टरपंथियों के चंगुल” का परिणाम हैं। उन्होंने इस मामले में संयुक्त राष्ट्र से हस्तक्षेप की मांग की और ऐसे हमलों को मानवता के खिलाफ बताया।
भारत का रुख
भारत ने बांग्लादेश में हिंदू नेता की गिरफ्तारी पर चिंता व्यक्त की और बांग्लादेशी अधिकारियों से अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील की। विदेश मंत्रालय ने मामले में “उचित रुख” अपनाने का आश्वासन दिया। बांग्लादेश उच्च न्यायालय के इस फैसले ने अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर उठ रही चिंताओं को उजागर किया है। साथ ही, अदालत ने सरकार को संवैधानिक दायित्वों को निभाने और देश में शांति बनाए रखने की सख्त हिदायत दी है।