भारत और बांग्लादेश के रिश्ते में बढ़ती तल्खी अब व्यापारिक स्तर पर भी सामने आने लगी है। बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर हो रहे अत्याचार और मंदिरों पर हमलों ने भारतीय व्यापारियों को कड़ा कदम उठाने पर मजबूर कर दिया है। भारत ने बांग्लादेश को 24 घंटे का अल्टीमेटम देते हुए 90% सामानों की सप्लाई रोक दी है।
बांग्लादेश की स्थिति और भारत का कड़ा कदम
बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदाय पर हो रहे हमलों, आर्थिक अस्थिरता और राजनीतिक उथल-पुथल ने भारतीय व्यापारियों को यह फैसला लेने पर मजबूर किया है। भारतीय व्यापारी अब बांग्लादेश को करारा झटका देने के लिए तैयार हैं, और अमेरिका भी इस मुद्दे पर कड़ा रुख अपना रहा है।
भारत का प्रमुख व्यापारिक साझीदार बांग्लादेश
भारत, बांग्लादेश को ऑटोस्पेयर पार्ट्स का सबसे बड़ा सप्लायर है, और 90% से अधिक ऑटो पार्ट्स भारत से जाते हैं। व्यापारी अब इस सप्लाई को बंद करने का फैसला कर चुके हैं, ताकि बांग्लादेश को हिंदुओं पर हो रहे हमलों और मंदिरों पर हमलों का विरोध किया जा सके। इसके अलावा, पश्चिमी बंगाल के व्यापारियों ने सब्जियों की सप्लाई भी रोक दी है और चेतावनी दी है कि यदि हालात नहीं सुधरे तो आलू, प्याज और अन्य सब्जियों की सप्लाई 5 दिनों तक बंद की जाएगी।
भारत के विभिन्न राज्यों का बांग्लादेश के साथ व्यापार पर असर
असम और त्रिपुरा ने बांग्लादेश के साथ अपने व्यापार को पूरी तरह से बंद कर दिया है। त्रिपुरा के प्राइवेट अस्पतालों ने बांग्लादेशी मरीजों का इलाज करना भी बंद कर दिया है, और होटलों ने बांग्लादेशी नागरिकों की एंट्री पर रोक लगा दी है।
बांग्लादेश के गिरते आर्थिक हालात और व्यापारियों की चिंताएं
भारतीय व्यापारियों के इस कदम के पीछे तीन प्रमुख कारण हैं:
पेमेंट का खतरा: बांग्लादेश की आर्थिक स्थिति बेहद खराब है, जिससे व्यापारियों को भुगतान की गारंटी पर चिंता है। भारतीय रिजर्व बैंक ने भी इस पर चिंता जताई है, क्योंकि यदि पेमेंट नहीं आती है तो फेमा कानून लागू होगा।
हिंदुओं पर अत्याचार: बांग्लादेश में मंदिरों पर हमले, पुजारियों की गिरफ्तारी और हिंदू समुदाय को निशाना बनाने की घटनाओं ने व्यापारियों को इस कदम का कारण बनाया है।
बांग्लादेश की गिरती अर्थव्यवस्था: मूडीज द्वारा बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था की रेटिंग में गिरावट के बाद व्यापारियों ने इसे एक और बड़ा कारण माना है।
भारत और बांग्लादेश के बीच बढ़ती व्यापारिक और राजनीतिक तनावों को देखते हुए, भारतीय व्यापारी अपनी सुरक्षा और हितों को प्राथमिकता देते हुए कड़े कदम उठा रहे हैं। यदि बांग्लादेश में हालात नहीं सुधरते, तो इस प्रकार के फैसले और भी बढ़ सकते हैं।