भगत सिंह कोश्यारी भारतीय राजनीति में उत्तर भारत का एक चर्चित नाम है। वह महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल हैं। आज 17 जून को भगत सिंह कोश्यारी अपना 82वां जन्मदिन मना रहे हैं। इसके अलावा, उन्होंने गोवा के राज्यपाल का अतिरिक्त प्रभार भी संभाला था। कोश्यारी भाजपा के दिग्गज नेताओं में से एक हैं। हालांकि, उनका विवादों से पुराना नाता रहा है। कोश्यारी उत्तराखंड के दूसरे मुख्यमंत्री और 2002 से 2007 के उत्तराखंड विधानसभा में विपक्ष के शीर्ष नेता रह चुके हैं।
उत्तराखंड के बागेश्वर जिले स्थित नामती चेताबागड़ गांव में 17 जून 1942 को भगत सिंह कोश्यारी का जन्म हुआ था। कोश्यारी बीजेपी को उत्तराखंड में स्थापित करने वाले नेताओं की लिस्ट में शामिल रहे। कोश्यारी ने अपना पूरा जीवन भाजपा और आरएसएस को समर्पित कर दिया। उन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा उत्तराखंड के अल्मोड़ा से पूरी की। फिर उच्च शिक्षा के लिए आगरा का रुख किया। आगरा यूनिवर्सिटी से उन्होंने अंग्रेज़ी साहित्य में पढ़ाई की। भगत सिंह कोश्यारी ने भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव के अलावा उत्तराखंड भाजपा के पहले अध्यक्ष का पद भी संभाला।
कोश्यारी ने अपने छात्र जीवन से ही राजनीति में एंट्री कर ली थी। साल 1961 में वह अल्मोड़ा कॉलेज में छात्रसंघ के महासचिव चुने गए। इसके बाद साल 1975 में जब देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगाया, तो भगत सिंह कोश्यारी ने इसका विरोध किया। आपातकाल का विरोध करने के लिए कोश्यारी को करीब पौने 2 साल तक जेल में रहना पड़ा। इस दौरान उनको राजनीतिक पहचान मिली।
साल 1979 से 1985 और फिर साल 1988 से 1991 तक भगत सिंह कोश्यारी ने कुमाऊं विश्वविद्यालय की एक्जीक्यूटिव काउंसिल में प्रतिनिधित्व किया। साल 1997 में वह उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य चुने गए। जब उत्तराखंड राज्य उत्तर प्रदेश से अलग हुआ तो नित्यानंद स्वामी राज्य के मुख्यमंत्री बने थे। उत्तराखंड सरकार में कोश्यारी कैबिनेट मंत्री बने। इसके बाद राज्य विधानसभा चुनाव से करीब 6 महीने पहले उत्तराखंड की सत्ता कोश्यारी को सौंप दी गई। 30 अक्टूबर 2001 से 1 मार्च 2002 तक कोश्यारी उत्तराखंड के सीएम रहे।
साल 2002 में उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में भाजपा की हार हुई। इसके बाद कोश्यारी ने 2002 से 2007 तक विधानसभा में नेता विपक्ष की जिम्मेदारी निभाई। फिर 2007 से 2009 तक उन्होंने बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाली। 2007 के विधानसभा चुनाव में उत्तराखंड में भाजपा की वापसी हुई, लेकिन भाजपा ने कोश्यारी को मुख्यमंत्री नहीं बनाया। बाद में 2008 से 2014 तक वह राज्यसभा के सदस्य रहे।
2014 में भारतीय जनता पार्टी ने कोश्यारी को उत्तराखंड की नैनीताल संसदीय सीट से उतारा। उन्होंने जीत हासिल की और पहली बार लोकसभा सदस्य चुने गए। 2019 के चुनाव में बीजेपी ने उन्हें टिकट नहीं दिया, लेकिन आरएसएस से नजदीकी होने के चलते पीएम मोदी ने उन्हें महाराष्ट्र के राज्यपाल की जिम्मेदारी सौंपी। वह 2023 तक महाराष्ट्र के राज्यपाल पद पर रहे।