दिवाली के बाद भाई-बहन के स्नेह का प्रतीक पर्व भाई दूज मनाया जाता है, जो हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को आता है। इसे यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन बहनें भाइयों को तिलक करती हैं, जिससे भाइयों को यम की दृष्टि से मुक्ति और अकाल मृत्यु से सुरक्षा मिलती है। इस बार भाई दूज की तिथि को लेकर कुछ असमंजस है, तो आइए जानते हैं कि इस साल भाई दूज कब मनाई जाएगी और किस शुभ मुहूर्त में भाई को तिलक करें।
द्रिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि 2 नवंबर, शनिवार की रात 8:21 बजे से शुरू होकर 3 नवंबर, रविवार को रात 10:05 बजे समाप्त होगी। उदयातिथि के अनुसार भाई दूज का पर्व 3 नवंबर को मनाया जाएगा।
ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04:49 से 05:42 तक
अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:39 से दोपहर 12:23 तक
अमृत काल: शाम 08:45 से रात 10:30 तक
विजय मुहूर्त: दोपहर 01:50 से 02:34 तक
तिलक का शुभ समय: दोपहर 01:06 से 03:17 तक
भाई दूज भाई-बहन के अटूट प्रेम और विश्वास का प्रतीक है। इस दिन बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाकर उनकी लंबी उम्र और समृद्धि की प्रार्थना करती हैं। बदले में भाई अपनी बहनों की सुरक्षा का वचन देते हैं।
भाई दूज के दिन बहनें स्नान कर स्वच्छ कपड़े पहनकर पूजा की तैयारी करें।
पूजा की थाली में कुमकुम, चंदन, अक्षत, रोली, सुपारी, मिठाई और नारियल रखें।
भाई को स्वच्छ स्थान पर चौकी पर बिठाकर शुभ मुहूर्त में अनामिका उंगली से तिलक लगाएं।
तिलक पर अक्षत लगाकर नारियल हाथ में दें, मिठाई खिलाएं और आरती उतारें।