चीन से बढ़ते तनाव के बीच भारतीय सेना ने सीमाई क्षेत्रों में जवानों की उपस्थिति और हथियारों में भारी वृद्धि की है। इसके साथ ही थलसेना ने 100 के-9 वज्र हॉवित्जर तोपों, ड्रोन, गोला-बारूद और निगरानी प्रणाली की खरीद करके अपनी तोपखाना इकाइयों की युद्ध क्षमता में भी इजाफा किया है।
सेना के तोपखाना मामलों के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल अदोष कुमार ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा की चुनौतियों को देखते हुए आधुनिक प्लेटफार्मों और उपकरणों की खरीद की जा रही है। आर्टिलरी रेजिमेंट की 198वीं वर्षगांठ के मौके पर उन्होंने बताया कि भारतीय सेना का आधुनिकीकरण तेजी से हो रहा है। सेना पहले ही 100 के-9 वज्र तोप प्रणाली तैनात कर चुकी है और अब एक और खेप खरीदने की प्रक्रिया में है।
लेफ्टिनेंट जनरल अदोष कुमार ने बताया कि डीआरडीओ की ओर से हाइपरसोनिक मिसाइलों पर भी काम जारी है। ये मिसाइलें ध्वनि की गति से पांच गुना अधिक गति से उड़ने की क्षमता रखती हैं, जिससे भारतीय सेना की मारक क्षमता और बढ़ जाएगी।
भारतीय सेना ने उत्तरी सीमाओं पर के-9 वज्र, धनुष और सारंग जैसी 155 मिमी तोपखाना प्रणाली को तैनात किया है। पूर्वी लद्दाख में गतिरोध के बाद इन तोपों की तैनाती ऊंचाई वाले क्षेत्रों में भी की गई है, जिससे सेना की क्षमता में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है।
प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने कहा है कि भविष्य के युद्ध प्रौद्योगिकी-संचालित होंगे और सेना को त्वरित निर्णय लेने की क्षमता विकसित करनी होगी। उन्होंने यह भी बताया कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), मशीन लर्निंग, स्टेल्थ टेक्नोलॉजी, और रोबोटिक्स जैसी तकनीकें भविष्य के युद्धों में निर्णायक साबित होंगी।
रक्षा मंत्रालय ने बयान में कहा कि आधुनिक युद्ध के बदलते स्वरूप को देखते हुए भविष्य के सैन्य नेताओं को तकनीकी रूप से सक्षम बनाने की जरूरत है। सेना का यह आधुनिकीकरण भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए आवश्यक है, ताकि युद्ध के मैदान में प्रभावी और एकीकृत प्रतिक्रिया सुनिश्चित की जा सके।