पश्चिम बंगाल के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी को शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली। उन्हें राज्य में कैश-फॉर-स्कूल जॉब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जमानत दी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत को निर्देश दिया कि वह 31 दिसंबर तक पार्थ चटर्जी के खिलाफ आरोप तय करने पर फैसला ले।
जमानत की अर्जी पर वकील का तर्क
इससे पहले की सुनवाई में, पार्थ चटर्जी के वकील मुकुल रोहतगी ने तर्क दिया था कि चटर्जी पिछले दो साल और दो महीने से जेल में हैं, इसलिए उन्हें जमानत मिलनी चाहिए।
पिछला फैसला और सुप्रीम कोर्ट का आदेश
इस साल अप्रैल में कलकत्ता हाईकोर्ट ने पार्थ चटर्जी को जमानत देने से इनकार कर दिया था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने अब उन्हें जमानत दी और कहा कि उन्हें 1 फरवरी, 2025 तक रिहा किया जाएगा। यदि आरोप तय करने और गवाहों की जांच जल्दी होती है, तो उन्हें जल्द रिहा किया जा सकता है। इसके बावजूद, उन्हें विधानसभा के सदस्य के अलावा किसी भी सार्वजनिक पद पर नियुक्त नहीं किया जाएगा।