आम आदमी पार्टी (AAP) नेता आतिशी ने सोमवार को दिल्ली के आठवें मुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार संभाला, लेकिन उन्होंने एक अलग कुर्सी पर बैठकर अपनी पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल की सीट को खाली रखा। इस पर आतिशी ने स्पष्ट कहा, “यह अरविंद केजरीवाल की कुर्सी है। मैंने आज दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार संभाला है और इस जिम्मेदारी को स्वीकार किया है।” उन्होंने अपनी स्थिति की तुलना भरत से की, जब भगवान राम वनवास पर गए थे और भरत को अयोध्या का शासन संभालना पड़ा था।
आतिशी के इस कदम पर भाजपा ने जोरदार हमला बोला। दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने इसे संविधान और मुख्यमंत्री पद का अपमान बताया। उन्होंने कहा, “मुख्यमंत्री की मेज़ पर दो कुर्सी रखना न केवल नियमों का उल्लंघन है, बल्कि सीधी चमचागीरी है। आतिशी ने दिल्ली की जनता और मुख्यमंत्री पद की गरिमा को ठेस पहुंचाई है। अरविंद केजरीवाल को इस पर जवाब देना चाहिए कि क्या दिल्ली सरकार इसी रिमोट कंट्रोल से चलेगी?”
भाजपा प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी और इसे ‘मनमोहन-सोनिया मॉडल’ से तुलना की। उन्होंने आरोप लगाया कि “आतिशी और केजरीवाल दिल्ली में रबर स्टांप मुख्यमंत्री की तरह एक कठपुतली सरकार चला रहे हैं। दिल्ली की जनता अब इस भ्रष्ट व्यवस्था के खिलाफ सवाल उठा रही है।”
आतिशी के नेतृत्व वाले नए मंत्रिमंडल में भी बदलाव हुए हैं। आतिशी के बाद सबसे ज्यादा आठ विभाग सौरभ भारद्वाज को मिले हैं, जिनमें स्वास्थ्य, पर्यटन, कला और संस्कृति शामिल हैं। नए मंत्री मुकेश अहलावत को श्रम, अनुसूचित जाति/जनजाति, रोजगार और भूमि व भवन विभाग सौंपे गए हैं। गोपाल राय को पहले की तरह विकास, सामान्य प्रशासन, पर्यावरण और वन विभाग दिए गए हैं, जबकि **कैलाश गहलोत** के पास परिवहन, गृह, प्रशासनिक सुधार और महिला एवं बाल विकास विभाग बरकरार हैं।
आतिशी और उनके नए मंत्रिमंडल के सामने कई नई परियोजनाओं और योजनाओं की चुनौती है, जिन्हें आगामी विधानसभा चुनाव से पहले पूरा करना होगा।