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फरवरी में BJP को मिलेगा नया अध्यक्ष, नाम करेगा सबको हैरान

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भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष का नाम फरवरी के अंत तक सामने आने की संभावना है। वर्तमान अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल समाप्त होने के बाद यह प्रक्रिया पूरी होगी। पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारी के अनुसार, संगठनात्मक चुनाव के तहत पार्टी की लगभग 60% राज्य इकाइयों में अध्यक्ष पद के चुनाव जनवरी के मध्य तक पूरे हो जाएंगे। इसके बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव का रास्ता साफ होगा।

संगठनात्मक चुनाव की शर्तें

भाजपा के संविधान के अनुसार, राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव तभी हो सकता है जब कम से कम आधी राज्य इकाइयों में संगठनात्मक चुनाव पूरे हो जाएं।

नए अध्यक्ष का कार्यभार फरवरी के अंत तक संभालने की उम्मीद है।

पार्टी नेतृत्व और RSS के बीच आम सहमति वाले उम्मीदवार को अध्यक्ष के रूप में चुना जाएगा।

संभावित नाम: कौन बन सकता है नया अध्यक्ष?

भाजपा अध्यक्ष पद के लिए कई नाम चर्चा में हैं:

शिवराज सिंह चौहान – पूर्व मध्यप्रदेश मुख्यमंत्री और वरिष्ठ नेता।

धर्मेंद्र प्रधान – केंद्रीय मंत्री और संगठन में सक्रिय भूमिका।

भूपेंद्र यादव – पार्टी के प्रभावशाली रणनीतिकार।

स्मृति ईरानी – पूर्व केंद्रीय मंत्री, यदि चुनी जाती हैं तो BJP की पहली महिला अध्यक्ष बन सकती हैं।

महाराष्ट्र का असर

पहले देवेंद्र फडणवीस का नाम सबसे आगे था, लेकिन महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री बनने के बाद उनकी संभावना कम हो गई है।

नड्डा के कार्यकाल का विस्तार

जेपी नड्डा का कार्यकाल 2024 के लोकसभा चुनावों को देखते हुए बढ़ाया गया था। चुनाव के बाद बीजेपी के नेतृत्व वाले NDA की सत्ता में वापसी हुई, जिससे पार्टी की स्थिति मजबूत हुई।

भाजपा अध्यक्ष का कार्यकाल

भाजपा अध्यक्ष का कार्यकाल तीन साल का होता है, लेकिन 2012 में किए गए संशोधन के बाद लगातार दो कार्यकाल तक वही व्यक्ति अध्यक्ष बन सकता है।

2012 में नितिन गडकरी का नाम RSS की सहमति से तय हुआ था।

2014 में राजनाथ सिंह अध्यक्ष बने और लोकसभा चुनाव तक पद संभाला।

2019 के चुनावों के बाद अमित शाह के स्थान पर जेपी नड्डा राष्ट्रीय अध्यक्ष बने।

आम सहमति की परंपरा

भाजपा में अध्यक्ष का चुनाव आमतौर पर आम सहमति से होता है। कोई भी नामांकन पत्र दाखिल करता है और फिर निर्विरोध निर्वाचन के जरिए अध्यक्ष चुना जाता है।

भाजपा के नए अध्यक्ष का नाम फरवरी के अंत तक सामने आएगा। यह नाम संगठन और सरकार दोनों में से किसी भी प्रमुख नेता का हो सकता है। भाजपा और RSS की सहमति के बाद यह चुनाव संपन्न होगा, और नया नेतृत्व पार्टी की अगली रणनीति को आगे बढ़ाएगा।

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