बॉम्बे हाई कोर्ट ने बदलापुर यौन उत्पीड़न के आरोपी अक्षय शिंदे की हिरासत में मौत के मामले में महाराष्ट्र पुलिस की खिंचाई की है। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में गड़बड़ी प्रतीत होती है और घटना की निष्पक्ष जांच की आवश्यकता है।
न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति पृथ्वीराज चव्हाण की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि यदि उन्हें लगा कि जांच सही तरीके से नहीं की जा रही है, तो वे उचित आदेश पारित करने के लिए बाध्य होंगे। हाई कोर्ट ने कहा कि अक्षय शिंदे की मौत की जांच पूरी निष्पक्षता के साथ होनी चाहिए।
कोर्ट ने यह भी कहा कि अक्षय शिंदे के एनकाउंटर को टाला जा सकता था। उन्होंने पुलिस से पूछा कि पहले उसे काबू करने की कोशिश क्यों नहीं की गई। कोर्ट ने यह सवाल भी उठाया कि आरोपी को सीधे सिर में गोली क्यों मारी गई, जबकि पहले पैर या हाथ में गोली मारने का प्रयास क्यों नहीं किया गया?
जस्टिस पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि जिस क्षण आरोपी ने पहला ट्रिगर दबाया, दूसरे लोग उसे आसानी से पकड़ सकते थे। उन्होंने यह भी कहा कि अक्षय शिंदे कोई बहुत बड़ा या मजबूत व्यक्ति नहीं था, और इसे मुठभेड़ नहीं कहा जा सकता।
अक्षय शिंदे के पिता अन्ना शिंदे ने मंगलवार को वकील अमित कटरनवरे के माध्यम से बॉम्बे हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की। उन्होंने आरोप लगाया कि उनके बेटे की हत्या फर्जी मुठभेड़ में की गई है और मामले की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) की मांग की है। कोर्ट ने सरकारी वकील से कहा कि एक शारीरिक रूप से कमजोर व्यक्ति रिवॉल्वर को जल्दी से अनलॉक नहीं कर सकता, और यह समझना आसान नहीं है।
इस मामले में न्यायालय की सख्त टिप्पणियाँ और निष्पक्ष जांच की मांग, पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाती हैं। यह प्रकरण इस बात का भी संकेत है कि कानून और व्यवस्था के रखरखाव में सुधार की आवश्यकता है।