रूस – यूक्रेन युद्ध के कारण भारत को हो रहा नुकसान
न्यूज डेस्क ( नेशनल थॉट्स ) : यूक्रेन क्राइसिस के कारण भारत के लिए हर लिहाज से चुनौतीपूर्ण है | कच्चे तेल में तेजी के कारण इंडियन करेंसी पर दबाव बढ़ रहा है | स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के इकोनॉमिस्ट का कहना है कि अगर रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध जारी रहता है तो डॉलर के मुकाबले रुपए में और गिरावट आएगी | SBI के मुताबिक, जून तक रुपया फिसल कर 77.5 के स्तर तक पहुंच सकता है |
रुपया डॉलर के मुकाबले 77 के स्तर पर पहुंचा
पिछले दिनों कच्चे तेल में तेजी के कारण रुपया डॉलर के मुकाबले 77 के स्तर तक पहुंच गया था | सोमवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 10 पैसे की गिरावट के साथ 76.54 के स्तर पर बंद हुआ | एसबीआई ने यह भी कहा कि अगर कच्चे तेल में तेजी बनी रहती है और यह 130 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर रहता है तो भारत का करंट अकाउंट डेफिसिट जीडीपी के 3.5 फीसदी तक पहुंच जाएगा |
ग्रोथ घटकर 7.6 फीसदी पर पहुंच सकता है
स्टेट बैंक का अनुमान है कि अगर वित्त वर्ष 2022-23 में कच्चे तेल का औसत भाव 100 डॉलर प्रति बैरल रहता है तो भारत का ग्रोथ रेट घटकर 7.6 फीसदी पर पहुंच जाएगा | पूर्व अनुमान 8 फीसदी का था | इसके कारण औसत महंगाई 4.5 फीसदी से बढ़कर 5 फीसदी पर पहुंच जाएगी | इसके कारण करंट अकाउंट डेफिसिट बढ़कर 86.6 बिलियन डॉलर का हो जाएगा जो जीडीपी का 2.5 फीसदी है |
भारत से निकल रहा है विदेशी निवेश
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि रूस का ग्लोबल ऑयल सप्लाई में 14 फीसदी और नेचुरल गैस सप्लाई में 17 फीसदी योगदान है | ऐसे में शॉर्ट टर्म में रुपए पर दबाव दिख रहा है | अगर यूक्रेन क्राइसिस बनी रहती है तो भारत में विदेशी निवेश घट जाएगा | साल 2022 में अब तक भारत से 12 बिलियन डॉलर का निवेश जा चुका है |