नागरिकता संशोधन अधिनियम (Citizenship Amendment Act – CAA), यह अधिनियम पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए अल्पसंख्यक हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारत की नागरिकता का मार्ग प्रशस्त करता है, बशर्ते वे 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आए हों और उन्हें प्रताड़ना का सामना करना पड़ा हो।
2019 में नागरिकता संशोधन बिल के प्रस्ताव के खिलाफ देशभर में आंदोलन हुआ। यह प्रस्ताव मुस्लिम समुदाय के बीच भेदभाव के आरोपों के साथ सामाजिक विवाद को उत्पन्न करता था। इस आंदोलन के परिणामस्वरूप, 2019 के बाद भी राज्यों के विधानसभा चुनावों में मुस्लिम वोटिंग पैटर्न में बदलाव आया। उन्होंने अपने वोट को पार्टियों के खिलाफ दिया, जिन्होंने इस संशोधन का समर्थन किया।
- 2020 में बिहार के विधानसभा चुनाव में महागठबंधन को 77% मुस्लिम वोट मिला।
- 2021 में पश्चिमी बंगाल के चुनाव में तृणमूल कांग्रेस को 75% मुस्लिम वोट मिला।
- 2022 में यूपी विधानसभा चुनाव में सपा को 79% मुस्लिम वोट मिला।
विपक्षी पार्टियाँ सीएए के विरोध में मुस्लिमों के भयों को मुद्दा बनाकर लोकसभा चुनाव में अपनी रणनीति तैयार कर रही हैं। इस आंदोलन और वोटिंग पैटर्न के माध्यम से समाज में नागरिकता संशोधन बिल के खिलाफ भावनाओं का परिचय दिया गया है, जो राजनीतिक प्रक्रिया को प्रभावित कर रहे हैं।