केंद्र सरकार ने लोकसभा और राज्यों के चुनाव एक साथ कराने की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए ‘एक देश-एक चुनाव’ विधेयक को मंजूरी दे दी है। सूत्रों के अनुसार, इस विधेयक को मौजूदा शीतकालीन सत्र में पेश किए जाने की संभावना है। यह कदम सरकार द्वारा पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशों को स्वीकार करने के बाद उठाया गया है।
समिति की सिफारिशें
राम नाथ कोविंद की अगुवाई वाली समिति ने लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और स्थानीय निकायों के चुनाव एक साथ कराने का सुझाव दिया है। इसके तहत चरणबद्ध तरीके से चुनाव कराने की योजना बनाई गई है। समिति ने कहा कि यह न केवल चुनाव प्रक्रिया को सरल बनाएगा, बल्कि समय और धन की भी बचत करेगा।
राम नाथ कोविंद का बयान
पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने कहा था कि ‘एक देश-एक चुनाव’ देश के लिए एक गेम चेंजर साबित हो सकता है। उन्होंने कहा कि इसके लागू होने से भारत की जीडीपी में 1-1.5% तक की वृद्धि संभव है। साथ ही, उन्होंने इस मुद्दे को पार्टी राजनीति से परे रखते हुए राष्ट्रीय हित में सहमति बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया।
लाभ और चुनौतियां
विशेषज्ञों के अनुसार, एक साथ चुनाव कराने से प्रशासनिक प्रक्रिया सुगम होगी, मतदाता भागीदारी बढ़ेगी और चुनावी खर्च में कटौती होगी। हालांकि, इसे लागू करना कानूनी और प्रशासनिक दृष्टिकोण से चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
क्या होगा अगला कदम?
अब सबकी निगाहें संसद के शीतकालीन सत्र पर हैं, जहां इस विधेयक को पेश किए जाने की संभावना है। सरकार इस मुद्दे पर राजनीतिक सहमति बनाने के लिए प्रयासरत है।