
गागर में सागर 171
मोह में आसक्त को ज्ञान देना व्यर्थ है लोभी – कंजूस को उदारता का उपदेश देना व्यर्थ है क्रोधी व्यक्ति को शांति की बात कहना
मोह में आसक्त को ज्ञान देना व्यर्थ है लोभी – कंजूस को उदारता का उपदेश देना व्यर्थ है क्रोधी व्यक्ति को शांति की बात कहना
उत्तम व्यक्ति संस्कारों से प्रेम करता है निम्न व्यक्ति भय से प्रेम करता है मध्यम व्यक्ति स्वार्थ से प्रेम करता है
जैसे ऊसर भूमि में बीज व्यर्थ हो जाता है उसी प्रकार मूर्ख से प्रार्थना करना व कुटिल से प्रेम करना व्यर्थ हो जाता है |
मंत्री यदि किसी भी कारण से गलत राय देता है तो राज्य नष्ट ही जाता है वैद्य यदि किसी भी कारण से गलत राय देता
राजा का विरोध करना राज्य का विरोध करना राजा के हित में कार्य करना राज्य के हित में काम करना अलग-अलग हैं इनको विचार में
सूर्य का सेवन पीठ से करना चाहिये अग्नि का सेवन सामने से करना चाहिये |
दाम-साम-दंड-भेद-भय-प्रीति-नीति समस्या से निकलने के उपाय हैं जीतने के उपाय हैं |
संतोष से लोभ नष्ट हो जाता है संत से अंहकार व मोह दूर भागते है |
सुसंग से ज्ञान उत्पन्त हो जाता है ज्ञान से मोह नष्ट हो जाता है |
कुपुत्र से पूरा कुल नष्ट हो जाता है कुसंग से ज्ञान नष्ट हो जाता है |