नई दिल्ली,(नेशनल थॉट्स ) : चार दिवसीय महापर्व छठ की शुरुआत 17 नवंबर 2023 से हो रही है. इसमें सूर्यदेव और षष्ठी माता की पूजा का महत्व है. आइये जानते हैं 4 दिनों तक चलने वाले इस पर्व में किन किन सामग्री का प्रयोग करना चाहिए और छठ पूजा के नियम…
छठ पूजा की सामग्री लिस्ट
1. सूप, बांस का डाला, बांस की टोकरी, नए गेहूं और चावल (ठेकुआ तथा प्रसाद के लिए)
2. जल, दूध, लोटा, ग्लास, थाली, गुड़, चीनी, मिठाई, शहद, काले छोटे चने
3. सूजी, मैदा, धूपबत्ती, कुमकुम, कपूर, पीला सिंदूर, चंदन, अक्षत्
4. डाभ या बड़ा नींबू, केला, नाशपाती, शरीफा, मूली, सुथनी, शकरकंदी.
5. मिट्टी के दीपक, चौमुखा दीप, रूई, बत्ती
6. सरसों का तेल, हल्दी, मूली और अदरक का पौधा, सीधे और लंबे 5 या 7 गन्ने
7. बद्धी माला, केले का घौद, पान का पत्ता, केराव.
1. सूप, बांस का डाला, बांस की टोकरी, नए गेहूं और चावल (ठेकुआ तथा प्रसाद के लिए)
2. जल, दूध, लोटा, ग्लास, थाली, गुड़, चीनी, मिठाई, शहद, काले छोटे चने
3. सूजी, मैदा, धूपबत्ती, कुमकुम, कपूर, पीला सिंदूर, चंदन, अक्षत्
4. डाभ या बड़ा नींबू, केला, नाशपाती, शरीफा, मूली, सुथनी, शकरकंदी.
5. मिट्टी के दीपक, चौमुखा दीप, रूई, बत्ती
6. सरसों का तेल, हल्दी, मूली और अदरक का पौधा, सीधे और लंबे 5 या 7 गन्ने
7. बद्धी माला, केले का घौद, पान का पत्ता, केराव.
छठ पूजा के नियम
1. छठ पूजा में साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखते हैं.
2. छठ पूजा करने वाले को निर्जला व्रत रखना जरूरी है.
3. व्रती नहाय खाय के दिन भोजन में लौकी, चने की दाल, सेंधा नमक और चावल खाते हैं.
4. खरना के दिन सूर्योदय से सूर्यास्त कुछ भी नहीं खाते हैं. सूर्यास्त के बाद पूजा करते हैं और गुड़-चावल से बनी खीर, रोटी या गुड़-रोटी खाते हैं.
5. खरना के चंद्रास्त के बाद से निर्जला व्रत रखते हैं.
6. षष्ठी तिथि को डूबते सूर्य को और सप्तमी को उगते सूर्य को अर्घ्य देते हैं.
7. उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद ही पारण करते हैं.
1. छठ पूजा में साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखते हैं.
2. छठ पूजा करने वाले को निर्जला व्रत रखना जरूरी है.
3. व्रती नहाय खाय के दिन भोजन में लौकी, चने की दाल, सेंधा नमक और चावल खाते हैं.
4. खरना के दिन सूर्योदय से सूर्यास्त कुछ भी नहीं खाते हैं. सूर्यास्त के बाद पूजा करते हैं और गुड़-चावल से बनी खीर, रोटी या गुड़-रोटी खाते हैं.
5. खरना के चंद्रास्त के बाद से निर्जला व्रत रखते हैं.
6. षष्ठी तिथि को डूबते सूर्य को और सप्तमी को उगते सूर्य को अर्घ्य देते हैं.
7. उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद ही पारण करते हैं.