छठ पूजा, सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित एक प्रमुख पर्व है, जो विशेष रूप से बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड में मनाया जाता है। दीपावली के बाद से ही इस महापर्व की तैयारियां शुरू हो जाती हैं। यह चार दिवसीय व्रत पर्व घर-परिवार की सुख-समृद्धि, बच्चों की लंबी आयु और स्वस्थ जीवन की कामना के लिए किया जाता है। इस पर्व की शुरुआत नहाय-खाय से होती है, जिसमें श्रद्धालु सात्विक भोजन करते हैं। आइए जानते हैं छठ महापर्व के महत्व और इसे मनाने की परंपराओं के बारे में।
छठ पूजा का आरंभ निर्जला व्रत से होता है। दूसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य देने और अंतिम दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, जो भी श्रद्धालु इस व्रत को सच्चे मन से करता है, उसे सूर्य देव और छठी मैया की कृपा प्राप्त होती है, जिससे परिवार में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
नहाय खाय: 5 नवंबर 2024
खरना: 6 नवंबर 2024
शाम का अर्घ्य: 7 नवंबर 2024
सुबह का अर्घ्य: 8 नवंबर 2024
पहला दिन (नहाय खाय): इस दिन व्रतधारी पवित्र नदियों में स्नान कर सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं। इसके बाद व्रत की शुरुआत होती है।
दूसरा दिन (खरना): इस दिन पूजा-अर्चना और प्रसाद ग्रहण करने के बाद व्रत प्रारंभ होता है। इस दौरान तामसिक भोजन नहीं किया जाता है।
तीसरा दिन: कार्तिक शुक्ल षष्ठी को डूबते सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा है, जिसमें संतान की लंबी आयु और सुख की कामना की जाती है।
अंतिम दिन:कार्तिक शुक्ल सप्तमी को उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है, जिससे व्रत का समापन होता है। इस दिन व्रत का पारण कर प्रसाद का वितरण किया जाता है।
छठ पूजा के दौरान किए गए व्रत और पूजा से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है और संतान की लंबी आयु का वरदान मिलता है।