भारत और चीन के बीच रिश्तों में एक बार फिर से गर्मजोशी देखी जा रही है। जहां एक ओर भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी की बीजिंग में मुलाकात हो रही है, वहीं दूसरी ओर भारत में चीनी राजदूत ने भारत-चीन रिश्तों को लेकर महत्वपूर्ण बयान दिया है।
भारत और चीन के रिश्तों में सुधार का संकेत
चीनी राजदूत ने कहा कि चीन भारत के साथ काम करने के लिए पूरी तरह तैयार है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि दोनों देशों के शीर्ष नेताओं ने जो मुद्दे तय किए हैं, उन पर पूरी तरह से काम किया जाएगा। उनका कहना था कि दोनों देशों के बीच मतभेदों को शांतिपूर्ण संवाद से हल किया जाएगा, जिससे दोनों देशों के रिश्ते मजबूत हो सकें। राजदूत ने यह भी कहा कि चीन और भारत के बीच द्विपक्षीय बातचीत का रास्ता खोला जाएगा, जिससे स्थिर माहौल और विकास के अवसर मिल सकें।
भारत-चीन बॉर्डर विवाद पर चीनी राजदूत का बयान
इस बयान को चीन-भारत बॉर्डर विवाद के संदर्भ में देखा जा सकता है। चीनी राजदूत ने यह स्पष्ट किया कि चीन भारत के साथ बॉर्डर विवाद को सुलझाने के लिए काम करने में दिलचस्पी रखता है और दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ाना चाहता है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि दोनों देशों को आपसी मतभेदों को संवाद के जरिए हल करना चाहिए।
भारत-चीन संबंधों में डिसइंगेजमेंट की प्रक्रिया
हाल ही में भारतीय विदेश मंत्री ने बताया था कि भारत और चीन के बीच कई मामलों में डिसइंगेजमेंट की प्रक्रिया चल रही है, खासकर पूर्वी लद्दाख में, जहां दोनों देशों के सैनिकों के बीच तनाव था।
पाकिस्तान की आर्थिक संकट और चीन की सख्त शर्तें
इस बीच पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति और भी नाजुक होती जा रही है। पाकिस्तान में आर्थिक संकट और ऊर्जा संकट ने स्थिति को और बिगाड़ दिया है। पाकिस्तान चीन को अपना सबसे करीबी मित्र मानता है, लेकिन हाल ही में चीन ने पाकिस्तान के लिए वर्ल्ड बैंक से 500 मिलियन डॉलर का लोन देने से मना कर दिया है।
पाकिस्तान की ऊर्जा संकट और चीन के कड़े कदम
वर्ल्ड बैंक से लोन न मिलने के कारण पाकिस्तान की ऊर्जा संकट और भी बढ़ सकती है। पाकिस्तान की बिजली की मांग 27,472 मेगावाट है, जबकि आपूर्ति केवल 22,099 मेगावाट है, जिससे देश में बिजली की भारी कमी हो रही है।
इससे यह स्पष्ट हो रहा है कि पाकिस्तान की चीन के साथ बढ़ती दोस्ती और आर्थिक रिश्ते अब उस पर दबाव बना रहे हैं। चीन के कड़े कदम और पाकिस्तान की बढ़ती विदेशी कर्ज ने पाकिस्तान के लिए नई समस्याएं पैदा कर दी हैं।