भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने वादी द्वारा राहत न देने के लिए जज के खिलाफ इन-हाउस जांच की मांग करने को लेकर गंभीर आपत्ति जताई। याचिका में पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई को प्रतिवादी के रूप में पेश किया गया था। वादी ने कहा कि यह याचिका मई 2018 में दायर की गई थी।
सीजेआई ने आश्चर्य जताते हुए कहा कि “आप जज को प्रतिवादी बनाकर जनहित याचिका कैसे दायर कर सकते हैं? कुछ गरिमा होनी चाहिए।” उन्होंने यह भी पूछा कि क्या यह अनुच्छेद 32 की याचिका है। उनका कहना था कि “आप प्रतिवादी के रूप में किसी न्यायाधीश के समक्ष जनहित याचिका कैसे दायर कर सकते हैं?”
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान, CJI चंद्रचूड़ ने याचिकाकर्ता के अनौपचारिक लहजे पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा, “यह कोई कॉफी शॉप नहीं है। मुझे ‘हाँ’ कहने वाले लोगों से थोड़ी एलर्जी है।” उन्होंने यह स्पष्ट किया कि इस प्रकार के लहजे की अनुमति नहीं दी जा सकती।
जब याचिकाकर्ता, जो पुणे का रहने वाला था, मराठी में दलीलें देने लगा, तो CJI ने भी उसी भाषा में जवाब देना शुरू कर दिया। उन्होंने पक्षकार को यह समझाने की कोशिश की कि केवल राहत देने से इनकार करने पर किसी जज के खिलाफ याचिका दायर नहीं की जा सकती।
सीजेआई ने स्पष्ट किया कि जब किसी हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाती है, तो मामले का निर्णय करने वाले हाईकोर्ट जज को पक्षकार नहीं बनाया जाता। इस प्रकार की प्रक्रिया में अनुशासन और गरिमा बनाए रखना आवश्यक है।