मंगलवार को चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनावों के कार्यक्रम की घोषणा करने की तैयारी की है। प्रेस कॉन्फ्रेंस दोपहर 3:30 बजे निर्धारित की गई है, जिसमें चुनावी तारीखों का खुलासा होगा। महाराष्ट्र विधानसभा का कार्यकाल 26 नवंबर को समाप्त हो रहा है, जबकि झारखंड विधानसभा का कार्यकाल 5 जनवरी, 2025 को समाप्त होगा। इस चुनावी घोषणा से पहले ही सियासत गरमा गई है। विपक्ष और बीजेपी आमने-सामने हैं, जहां कुछ विपक्षी नेता चुनाव समय और ईवीएम पर सवाल उठा रहे हैं।
कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने EVM को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि ईवीएम में गड़बड़ी हो सकती है और बीजेपी चुनाव से पहले इसमें धांधली कर सकती है। उन्होंने सुझाव दिया कि महाराष्ट्र में पेपर बैलट से चुनाव कराए जाने चाहिए, ताकि चुनावी प्रक्रिया पारदर्शी हो सके। अल्वी ने इजराइल का उदाहरण देते हुए कहा कि इजराइल पेजर और वॉकी-टॉकी का इस्तेमाल कर लोगों को मार सकता है, तो ईवीएम में छेड़छाड़ क्यों नहीं हो सकती? उनके अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इजराइल के साथ करीबी रिश्ते हैं, और इस वजह से उन्हें ईवीएम पर संदेह है।
कांग्रेस के इन आरोपों पर बीजेपी ने तीखा पलटवार किया है। बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा कि कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने चुनाव से पहले ही हार मान ली है। पूनावाला के अनुसार, कांग्रेस हार से बचने के लिए पहले से ही ईवीएम पर सवाल उठा रही है, ताकि अपनी हार का बहाना बना सके। उन्होंने कहा कि जब कांग्रेस तेलंगाना, कर्नाटक और जम्मू-कश्मीर में ईवीएम से जीतती है, तो उन्हें कोई समस्या नहीं होती, लेकिन हारते ही ईवीएम पर आरोप लगाए जाते हैं।
पूनावाला ने कांग्रेस के आरोपों को पूरी तरह से खारिज करते हुए कहा कि कांग्रेस पहले से ही हार को देखते हुए चुनाव प्रक्रिया पर सवाल उठा रही है। उन्होंने कहा कि चुनाव की तारीखों की घोषणा से पहले ही कांग्रेस ने अपने खराब प्रदर्शन का बहाना ढूंढ लिया है। पूनावाला ने कहा कि यह संविधान के प्रति सशर्त प्रतिबद्धता का संकेत है, जो कांग्रेस की राजनीतिक रणनीति का हिस्सा बन गया है।
महाराष्ट्र और झारखंड चुनावों से पहले ईवीएम पर कांग्रेस के सवालों ने राजनीतिक माहौल को गर्मा दिया है। जहां कांग्रेस ईवीएम पर शक जाहिर कर रही है, वहीं बीजेपी इसे हार से बचने का बहाना बता रही है। अब देखना होगा कि चुनाव आयोग और अन्य राजनीतिक दल इस मुद्दे पर क्या रुख अपनाते हैं।