दिल्ली (नेशनल थॉटस)- दशमेश सेवा सोसायटी ने अपनी कार्यकारणी में अहिम फैसला लेते हुसे दिल्ली सरकार को गुरुद्वारा वार्डों की हदबन्दी को ठीक करके नई मतदाता सूचीयां तैयार करने की अपील की है।
इस संम्बन्ध में जानकारी देते हुये सोसायटी के प्रधान एंव दिल्ली सिख गुरुद्रारा प्रबंन्धक कमेटी के पूर्व सदस्य इन्दर मोहन सिंह ने बताया है कि अदालतों द्वारा लंबे समय से जारी आदेशों के बाद भी दिल्ली सरकार ने साल 1995, 2002, 2007, 2013, 2017 एंव 2021 में 40 साल पुरानी मतदाता सूचीयों में अधूरे संशोधन करके दिल्ली गुरुद्रारा चुनाव करवाने की कवायद की गई थी। उन्होने बताया कि साल 1983 में बनाई गई मतदाता सूचीयों में अभी भी उन मतदाताओं के नाम दर्ज हैं जो इस संसार को अलविदा कह चुके हैं अथवा अपना निवास-स्थान कई बार बदल चुके हैं।
यह भी आशंका प्रकट की जा रही है कि रिहायश बदल चुके मतदाताओं के नाम अलग-अलग स्थानों पर कई बार दर्ज हो सकते हैं जबकि इस लंबे अन्तराल के दौरान शादी कर चुकी महिलाओं के साथ उनके पति के नाम के स्थान पर अभी भी पिता का नाम दर्ज है।
इन्दर मोहन सिंह ने कहा कि इससे पहले बार्डों की हदबंन्दी साल 2015 में की गई थी परन्तु खामियों से भरपूर इस हदबंन्दी प्रकिया में वार्डों की हदबन्दी की अधिसूचना में दर्शाए गये इलाके ना तो मतदान केन्द्रों से तथा ना ही वार्डों के नक्षों से मेल खाते हैं।
कई स्थानों पर एैसी सड़कों को आपस में मिलते दर्शाया गया है जो एक दूसरे से कई किलोमीटर की दूरी पर हैं। उन्होंने बताया कि लगभग 40 प्रतिशत मतदाताओं के नाम ही उनकी फोटो के साथ दर्ज हैं जबकि जुलाई 2010 में हुये संशोधन के अनुसार सभी मतदाता इन सूचीयों में फोटो सहित दर्ज होने अनिवार्य किये गये थे।
सोसायटी के प्रधान इन्दर मोहन सिंह ने बताया कि उन्होने दिल्ली के उप-राज्यपाल वी. के. स्कसैना, मुख्यमंन्त्री अरविन्द केजरीवाल एंव निदेषक गुरुद्रारा चुनाव मनविन्दर सिंह को अपने पत्र द्रारा दिल्ली के सभी 46 वार्डो का निरीक्षण करने के बाद पुनः हदबंन्दी करने तथा सिख वोटों की बराबर बांट करने के आधार पर घर-घर जाकर नई मतदाता सूचीयां तैयार करने की अपील की हैं। उन्होने कहा कि इस प्रक्रिया को पूरा करने से जनवरी 2026 में निर्धारित गुरुद्रारा चुनाव निक्ष्पक्ष एंव पारदर्शी ढंग से करवाने में मदद मिलेगी वहीं दिल्ली के सिखों की सही संख्या के आंकड़े भी सामने आयेंगे क्योंकि मौजूदा 3 लाख 42 हजार सिख मतदाताओं की संख्या सही प्रतीत नही होती है।