रितिका
चोरसौ, गरुड़
उत्तराखंड
संसार में आने से पहले,
क्यों कर देते है उसकी हत्या,
क्य बेटी है बोझ?
जो पूरे परिवार को है संवारती,
मगर पराया धन के नाम से,
घर में इज्जत न पाती,
कम उम्र में कर देते उसके हाथ पीले,
अगर पढ़ा दिया तो लड़की होगी बर्बाद,
यही सोच कर देती उसकी अस्मिता को कमजोर,
घर से बाहर जाने पर क्यों होती उस पर रोक?
बेटी होना बहुत बड़ी है बात,
स्वतंत्रता से जीना उसका भी है अधिकार,
सुनो, बेटी ही भविष्य को बनाती है,
जीवन दाता वो कहलाती है
फिर न जाने उसे इज्जत क्यों नहीं मिल पाती है।।
चरखा फीचर
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मां शब्द की क्या ही परिभाषा दूं?
भावना मेहरा
कपकोट, बागेश्वर
उत्तराखंड
मां शब्द की क्या ही परिभाषा दूं?
मां एक शब्द है न लेख है,
ना ही इस शब्द का कोई मोल है,
मां शब्द एक एहसास है, एक प्यार है,
जिंदगी के हर दुख में छुपे एक हंसी का एहसास है,
जो साथ न होकर भी आसपास है,
छोटे-छोटे कदमों का साथ है,
जो आज भी हमारे साथ है,
मां की वह बचपन की लोरी से लेकर,
उसकी सांसों की वह आखिरी डोरी,
हर पल हर वक्त बस उसकी ममता,
करुणा और त्याग की मूरत है,
भूखे रहकर बच्चों को खिलाना,
अपने आंचल की ठंडी छांव में सुलाना,
नींद ना आने पर लोरी सुनना,
और डर जाने पर अपने पल्लू में छुपाना,
पापा की मार से बचाना,
बच्चों की खातिर दुनिया से लड़ जाना,
मां शब्द की क्या ही परिभाषा दूं?
मां एक शब्द है न लेख है।।
चरखा फीचर