इस सप्ताह कई महत्वपूर्ण न्यायिक निर्णय और आदेश सामने आए हैं, जिनमें यूपीएससी, गांधी मैदान विस्फोट केस, केजरीवाल की जमानत, और व्यास तहखाने में नमाज़ के मुद्दे जैसे मामले शामिल हैं। आइए जानते हैं इस हफ्ते के मुख्य न्यायिक घटनाक्रम:
दिल्ली हाई कोर्ट ने पूर्व आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर से UPSC की याचिका पर जवाब मांगा है। UPSC ने खेडकर पर अदालत में झूठा बयान और हलफनामा देने का आरोप लगाया है। कोर्ट ने खेडकर को तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने का समय दिया है, और अगली सुनवाई 26 नवंबर को होगी। UPSC का दावा है कि खेडकर को उनकी उम्मीदवारी रद्द होने की सूचना उनके पंजीकृत ईमेल पर 31 जुलाई को दी गई थी।
दिल्ली हाई कोर्ट ने CBI से ‘ओल्ड राजेंद्र नगर’ में 27 जुलाई को हुए जलभराव का कारण जानना चाहा है, जिसमें तीन छात्रों की मौत हो गई थी। कोर्ट ने जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए बेसमेंट के मालिकों से पूछा कि जलभराव का वास्तविक कारण क्या था – क्या यह बारिश के कारण था या किसी और वजह से। कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है।
पटना हाई कोर्ट ने गांधी मैदान विस्फोट मामले में चार दोषियों की मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया है। ये विस्फोट 2013 में नरेंद्र मोदी की रैली के दौरान हुए थे। कोर्ट ने एनआईए की विशेष अदालत द्वारा सुनाई गई अन्य दोषियों की सजा को बरकरार रखा। इस मामले में कुल 9 दोषियों को विभिन्न सज़ाएं दी गई थीं।
वाराणसी की एक अदालत ने व्यास तहखाने की छत पर नमाज रोकने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी। अदालत ने सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामलों का हवाला देते हुए कहा कि व्यास तहखाने की छत पर नमाज जारी रहेगी। हिंदू पक्ष ने दावा किया था कि व्यास तहखाने के पिलर कमजोर हो गए हैं, जिसके चलते सुरक्षा के लिहाज से नमाज पर रोक लगाने की मांग की गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली शराब नीति से जुड़े CBI मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जमानत दे दी। अदालत ने कहा कि केजरीवाल को हिरासत में रखना उन्हें स्वतंत्रता के अधिकार से वंचित करने जैसा होगा। कोर्ट ने CBI को “पिंजरे का तोता” होने की धारणा से खुद को दूर करने का निर्देश दिया। इससे पहले केजरीवाल को ईडी ने इसी मामले में गिरफ्तार किया था और उन्हें 2 जून को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली थी।
यह सप्ताह न्यायालयों के कई अहम फैसलों और टिप्पणियों से भरा रहा, जिनका प्रभाव भविष्य में देखने को मिल सकता है।