इस वर्ष दीपावली महापर्व पारंपरिक पांच दिनों के बजाय छह दिन मनाया जाएगा। हिंदू धर्म में दीपावली का पर्व कार्तिक अमावस्या को मनाया जाता है, जो इस बार 1 नवंबर को है। ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास के अनुसार, यह महापर्व धनतेरस से शुरू होकर भैयादूज तक छह दिन चलेगा।
कहते हैं कि भगवान श्रीराम के 14 वर्षों के वनवास से अयोध्या लौटने पर नगरवासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया था। तब से दीपावली पर दीप जलाने की परंपरा शुरू हुई। यह पर्व अंधकार से उजाले की ओर यात्रा का प्रतीक है और लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व रखता है।
इस दिन धन के देवता कुबेर और भगवान धन्वंतरि की पूजा होती है। मान्यता है कि इस दिन नई वस्तुएं खरीदने से तेरह गुना वृद्धि होती है। शाम के समय यमराज के निमित्त दीपदान भी किया जाता है।
त्रयोदशी तिथि: 29 अक्टूबर, सुबह 10:32 से 30 अक्टूबर, दोपहर 01:16 तक
30 अक्टूबर को रूप चौदस और हनुमान जयंती मनाई जाएगी। इस दिन महिलाएं उबटन स्नान करके सौंदर्य निखारती हैं। 31 अक्टूबर को नरक चतुर्दशी या छोटी दीपावली मनाई जाती है।
चतुर्दशी तिथि: 30 अक्टूबर, दोपहर 01:16 से 31 अक्टूबर, दोपहर 03:53 तक
मुख्य दीपावली 1 नवंबर को है, जिसमें माता लक्ष्मी, भगवान गणेश और देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। इस दिन घरों को दीपों से सजाया जाता है ताकि लक्ष्मी जी की कृपा प्राप्त हो सके।
अमावस्या तिथि: 31 अक्टूबर, दोपहर 3:53 से 1 नवंबर, शाम 6:17 तक
गोवर्धन पूजा, जिसे अन्नकूट भी कहा जाता है, इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की 56 भोग से पूजा की जाती है। गोवर्धन पर्वत की पूजा और अन्नकूट प्रसाद वितरण भी होता है।
भैयादूज इस महापर्व का अंतिम दिन है। बहनें अपने भाई की लंबी उम्र की कामना के लिए तिलक करती हैं और भाई बहन के घर भोजन करते हैं।
इस बार दीपोत्सव में छह दिन की विशेष पूजा और अनुष्ठान होंगे। ये दिन न केवल धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि भाईचारे और समृद्धि की भावना को भी बढ़ावा देते हैं।