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देव संवाद
दुनिया का सारा ज्ञान कहीं ना कहीं इसी बात के लिए प्रेरित करता है कि सफल होना ही है। यदि समय रहते सावधान नहीं हुए तो अपनी असफलता पर रोते रहोगे।
गीता के दूसरे अध्याय में कृष्ण ने अर्जुन को चेतावनी दी थी और एक श्लोक बोला था – हतो वा प्राप्स्यसि स्वर्गम,जित्वा वा भोक्ष्यमसे महिमा,। तस्मात उतिष्ठ कौन्तेय युद्धाय कृतनिश्चयः या तो तू युद्ध में मारा जाकर स्वर्ग को प्राप्त होगा अथवा संग्राम जीतकर पृथ्वी का राज्य भोगेगा।
इस लिए, हे अर्जुन तू निश्चय करके युद्ध के लिए खड़ा हो जा – कृतनिश्चय उतिष्ठ – इस शब्द को हम समझे और आज जो भी काम करें जमकर करें।
यह शत-प्रतिशत परिणाम देने का युग है। अब तो निन्यानवें का भी आंकड़ा बेकार हो गया। अब तो सफलता के तमगे उन्हीं को लगेंगे जो 100 को भी लाघेंगे। शत-प्रतिशत सफलता के लिए शिक्षा, परिश्रम, ईमानदारी व संगठन इन सबको साथ जोड़ना होगा।