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Dhanteras 2023 : धनतेरस के दिन यमराज को क्यों दिखाया जाता है पहला दीपक? जानें क्या है धार्मिक मान्यता

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नई दिल्ली,(नेशनल थॉट्स ) –  धनतेरस पर शुभता और सौभाग्य को पाने के लिए दीपदान करने की परंपरा कई सदियों से चली आ रही है. कथा और पुराणों के अनुसार, धनतेरस के दिन शाम के समय 13 दीपक जलाए जाते हैं. 
 
जिसमें से सबसे पहले दक्षिण दिशा में यम देवता के लिए और दूसरा धन की देवी मां लक्ष्मी के लिए जलाना चाहिए और दो दिए अपने घर के मुख्य द्वार पर, एक दीया तुलसी महारानी के लिए, एक दीया घर की छत पर और बाकी दीपक घर के अलग-अलग कोने में रख देने चाहिए. माना जाता है कि धनतेरस पर दीपदान करने पर व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं शीघ्र ही पूरी हो जाती हैं. पूरे साल उसका घर धन-धान्य से भरा रहता है.
 

धनतेरस का महत्व: धनतेरस का त्योहार धन, ऐश्वर्य, और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसे धनत्रयोदशी भी कहा जाता है, और यह कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को मनाया जाता है.
भगवान धन्वंतरि की पूजा: धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है, जिन्हें आरोग्य और उपचार के देवता माना जाता है।

यम पूजा: धनतेरस के दिन यमराज की पूजा भी की जाती है, जिससे अकाल मृत्यु के भय को दूर किया जाता है.

दीपदान का महत्व: धनतेरस के दिन 13 दीपक जलाए जाते हैं, जिनमें सबसे पहले दक्षिण दिशा में यम देवता के लिए और फिर मां लक्ष्मी के लिए जलाना चाहिए. इसके अलावा, घर के विभिन्न कोनों में भी दीपक जलाने का महत्व है.

मनोकामनाओं की पूर्ति: धनतेरस पर दीपदान करने से मान्यता है कि व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं शीघ्र ही पूरी होती हैं और पूरे साल उनका घर धन-धान्य से भरा रहता है.

यमराज को दीपक दिखाने का धार्मिक महत्व
धार्मिक मान्यता के अनुसार, यमदूतों ने बहुत साल पहले यमराज से सवाल पूछा  क्या मनुष्य के लिए अकाल मृत्यु से बचने का कोई उपाय है? तब यमराज ने बताया कि यदि कोई व्यक्ति धनतेरस के दिन विधि-विधान से दीपदान करता है, तो उसे अकाल मृत्यु का जीवन में कोई भय नहीं रहता है. इसलिए हमें धनतेरस के दिन दीप प्रज्वलित करना चाहिए.

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