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मधुमेह चयापचय रोगों का समूह है। यह रोग व्यक्ति में उच्च रक्त शर्करा (ब्लड शुगर) के स्तर या अपर्याप्त इंसुलिन के उत्पादन के कारण होता है। इस रोग में शरीर की कोशिकाएं ठीक से इंसुलिन का उत्पादन या इंसुलिन के उत्पादन के प्रति प्रतिक्रिया नहीं कर पाती है। ;मधुमेह; शब्द कई एटियलजिचयापचय विकारों जैसे कि कार्बोहाइड्रेट, वसा (डिस्लिपिडेमिया) की गड़बड़ी और प्रोटीन चयापचय के परिणामस्वरूप इंसुलिन के स्राव या इंसुलिन की कार्यप्रक्रिया यानि कि दोनों में होने वाले दोष के कारण क्रोनिक हाइपरग्लाइसिमिया द्वारा पहचाना जाता है। इस रोग के प्रमुख लक्षण इस प्रकार हैं: - बहुमूत्रता (अक्सर पेशाब)। अतिपिपासा (प्यास बढ़ना)। अतिक्षुधा (भूख बढ़ना)। मधुमेह निम्नलिखित प्रकार के होते हैं: मधुमेह टाइप-१: शरीर में शारीरिक ख़राबी या परेशानी के कारण इंसुलिन का निर्माण बंद हो जाता है तथा व्यक्ति को इंसुलिन का इंजेक्शन लगाने की आवश्यकता होती है। मधुमेह के इस प्रकार को पहले "इंसुलिन निर्भर मधुमेह" (आईडीडीएम) या ;किशोर मधुमेह” के रूप में जाना जाता था| मधुमेह टाइप-२: यह इंसुलिन में प्रतिरोध के कारण होता है। इस स्थिति में कोशिकाएं पर्याप्त इंसुलिन का उपयोग नहीं करती हैं तथा कभी-कभी इंसुलिन कम मात्रा में बनता है। मधुमेह के इस प्रकार को पहले "नॉन इंसुलिन निर्भर मधुमेह" (एनआईडीडीएम) या "वयस्क शुरुआती मधुमेह” के रूप में जानाजाता था| मधुमेह का तीसरा प्रकार जैस्टेशनल/गर्भकालीन मधुमेह: होता है यह मधुमेह की वह स्थिति होती है, जिसमें महिलाओं में मधुमेह का उपचार पहले कभी न हुआ हों तथा गर्भावस्था के समय उनके रक्त में शर्करा का उच्च स्तर पाया जाता हैं। यह डीएम टाइप-२ को पैदा कर सकता हैं। मधुमेह के अन्य कारणों में निम्नलिखित शामिल हैं: बीटा कोशिकाओं का आनुवंशिक दोष, (अग्न्याशय का वह हिस्सा जो कि इंसुलिन बनाता है): जिसे परिपक्वता की अवस्था यानि कि युवाओं में शुरुआती मधुमेह (मोडी) या नवजात मधुमेह के नाम से जाना जाता है (एनडीएम)। अग्न्याशय के रोग या अग्न्याशय: कीक्षति जैसे कि अग्नाशयकोप और सिस्टिक फाइब्रोसिस की स्थिति पैदा हो सकती है। कुछ चिकित्सीय स्थितियां: जैसे कि कुशिंग सिंड्रोम में कोर्टिसोल की अधिक मात्रा इंसुलिन के कार्य को बाधित करती है। बीटा कोशिकाओं को नष्ट करने वाली दवाईयां: जैसे कि ग्लूकोर्टिकोइटड या रसायन इंसुलिन की कार्यक्षमता को कम करती है। मधुमेह रोगियों का नैदानिक निदान अक्सर लक्षण जैसे कि अधिक प्यास लगने और अधिक पेशाब जाने तथा बार-बार होने वाले संक्रमण के आधार पर किया जाता है। रक्त परीक्षण - फास्टिंग प्लाज्मा ग्लूकोज, भोजन के दो घंटे के बाद किए जाने वाला परीक्षण और ओरल ग्लूकोज़ टालेरेन्स परीक्षण, रक्त शर्करा के स्तर का पता लगाने के लिए किया जाता है। ग्लाइकेटेड हीमोग्लोबीन (एचबीए१सी) का उपयोग मधुमेह के निदान करने के लिए किया जाता है। मधुमेह का उपचार , रक्त में ग्लूकोज और एचबीए१सी के स्तर द्वारा किया जा सकता है। अन्य परीक्षण – फास्टिंग लिपिड प्रोफाइल, जिसमें कुल, एलडीएल, और एचडीएल कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स शामिल हैं। यकृत (लीवर) प्रक्रिया परीक्षण। गुर्दें (किडनी) प्रक्रिया परीक्षण। मधुमेह टाइप-१ में, थायरॉयड स्टेमुलेटिंग हार्मोन (टीएसएच) परीक्षण, डिस्लिपिडेमिया या पचास साल से अधिक उम्र की महिलाओं में अवश्य करवाया जाना चाहिए। वर्तमान समय में, मधुमेहरोधी छह प्रकार की ओरल दवाएं उपलब्ध हैं : बाइग्वानाइड, (मेटफॉर्मिन) सल्फोनिलयूरियास (गिल्मापेराइड), मैग्लीटिनाइड (रिपेगिल्नाइड), थाईज़ोलिडानिडिआंस (पियोग्लिटाजोन), डाईपेप्पटीडाइल पेप्टीडेज़ चतुर्थ अवरोधक, सिटेगलिप्टिन और अल्फ़ा - ग्लुकोसिडेस अवरोधक (ऐकरवोस)। दवाएं: इंसुलिन: आमतौर पर मधुमेह टाइप-१ का उपचार सिंथेटिक इंसुलिन एनालॉग या एनपीएच (नूट्रल प्रोटामिन हेजाडॉर्न) इंसुलिन के संयोजन के साथ नियमित किया जाता है। आमतौर पर मधुमेह टाइप-२ में, जब लंबे समय तक रहने वाले इंसुलिन फॉर्म्युलेशन का उपयोग किया जाता है, तो मौखिक दवाओं का सेवन करते समय इंसुलिन के उपयोग की आवश्यकता भी महसूस हो सकती है। सहवर्ती चिकित्सीय स्थितियों का उपचार (जैसे कि उच्च रक्तचाप और डिस्लिपिडेमिया)। जीवन शैली में सुधार लाने के लिए उपाय। नियमित व्यायाम। उचित आहार। धूम्रपान निषेध। अल्कोहल निषेध। अल्पकालिक और दीर्घकालिक दोनों तरह के विकल्प रक्त शर्करा के स्तर को स्वीकार्य सीमा के भीतर बनाए रखने में सहायता करते हैं। यदि मधुमेह से पीड़ित व्यक्ति अपनी रक्त शर्करा के स्तर को अच्छी तरह से नियंत्रित रखते हैं, तो उनमें मधुमेह की जटिलताएं बेहद कम और कम गंभीर हो सकती है। मधुमेह की जटिलताएं निम्नलिखित होती है: एक्यूट: १. मधुमेह कीटोअसिदोसिस (डीकेएन): यह मधुमेह की तीव्र और खतरनाक जटिलता होती है, जिसके परिणाम स्वरूप आपातकालीन चिकित्सा की आवश्यकता हो सकती है। यह आमतौर पर, इंसुलिन का स्तर कम होने के कारण देखा जाता है, जिसका कारण यकृत (लीवर) का ईंधन के लिए फैटी एसिड का उपयोग करना है। फैटी एसिड से ईंधन बनता है। कीटोन से कीटोन बॉडिज़ बनती है। कीटोन चयापचय अनुक्रम में मध्यवर्ती का कार्य करता है। यदि यह अवस्था निश्चित अवधि तक बनी रहती है, तो यह सामान्य स्थिति है, लेकिन यदि यह अवस्था लंबे समय तक बनी रहती है, तो यह गंभीर समस्या पैदा कर सकती है। कीटोन बॉडिज़ का उच्च स्तर शरीर के रक्त में रक्त पीएच में कमी करता है, जिसके परिणामस्वरूप डीकेए पैदा होता है। आमतौर पर, डीकेए से पीड़ित रोगी के शरीर में पानी की कमी हो जाती है तथा उसकी साँस तेज़ और गहरी चलने लगती है। पेट में दर्द होता है तथा यह स्थिति अति गंभीर भी हो सकती है। २. अतिग्लूकोसरक्तता: अतिग्लूकोसरक्त अन्य क्रोनिक जटिलता होती है।यदि व्यक्ति के रक्त में शर्करा की उच्च मात्रा (आमतौर पर ३००एमजी/डीएसे ऊपर माना जाती है (१६ एमएमओएल/एल)) बहुत अधिक होती है, तो पानीआज़्माटिकली कोशिकाओं से बाहर आ जाता है तथा यह रक्त में मिल जाता है एवम् अंत में किडनी शर्करा को पेशाब में भेजना शुरू कर देती है, जिसकेपरिणामस्वरुप पानी की कमी और रक्त ओस्मोलेरिटी में बढ़ोत्तरी हो जाती है। यदि तरल पदार्थ (मुंह या नसों) से नहीं दिया जाता है, तो आसमाटिक के प्रभाव के कारण, पानी की कमी के साथ शर्करा का स्तर बढ़ जाता है। अंत में निर्जलीकरण की समस्या पैदा हो जाती है। शरीर की कोशिकाओं में निर्जलीकरण तेज़ी से होता है, क्योंकि शरीर का पानी कोशिकाओं द्वारा उत्सर्जित हो जाता है। इस अवस्था में इलेक्ट्रोलाइट का असंतुलन बेहद सामान्य होता हैं, लेकिन यदि यह अधिक होता है, तो स्थिति ख़तरनाक भी हो सकती है। ३. हाइपोग्लाइसीमिया: अधिकांश मधुमेह के उपचार में हाइपोग्लाइसीमिया या रक्त में शर्करा की असामान्य मात्रा को क्रोनिक जटिलता माना जाता है। यह स्थिति मधुमेह या नॉन मधुमेह से पीड़ित रोगियों में नहीं होती है, या बेहद दुर्लभ पायी जाती है। रोगी चिड़चिड़ा, पसीने से तरमदर और कमजोर हो जाता है तथा बहुत सारे लक्षण सिम्पथेटिक एक्टिवेइशन की स्वायत्त तंत्रिका प्रणाली पर प्रकट होते है, जिसके परिणामस्वरूप रोगी स्थिर भय और आतंक महसूस करता है। ४. मधुमेह कोमा: मधुमेह कोमा, मधुमेह की आपातकालीन चिकित्सीय स्थिति होती है, जिसमें मधुमेह से पीड़ित रोगी बेहोश हो जाता है। यह मधुमेह की क्रोनिक जटिलताओं में से एक जटिलता है। गंभीर मधुमेह हाइपोग्लाइसीमिया। मधुमेह कीटोअसिदोसिस की मात्रा में बढ़ोत्तरी से गंभीर हाइपरगेइसीमिया, निर्जलीकरण, आघात और थकावट होती है, जिसके परिणामस्वरूप बेहोशी की स्थिति पैदा हो सकती है। हाईपरोस्मोलर नोंकेटोटिक कोमा मधुमेह की वह स्थिति है, जिसमें हाइपरग्लाइसिमिया और निर्जलीकरण अकेले बेहोशी पैदा करने के लिए पर्याप्त होता हैं। क्रोनिक १. मधुमेह कार्डियोमायोपैथी: यह स्थिति हृदय को नुकसान पहुंचा सकती है, जो कि डायस्टोलिक शिथिलता को पैदा करता है तथा अंत में हृदय की विफलता को भी पैदा करता हैं। २. मधुमेही नेफ्रोपैथी: यह किडनी को नुकसान पहुंचा सकता है, जो कि क्रोनिक गुर्दे की विफलता को पैदा करता हैं। अंततः इस स्थिति में डायलिसिस की आवश्यकता होती है। वयस्कों में गुर्दें (किडनी) की विफलता का सबसेसामान्य कारण मधुमेह हो सकता है। ३. मधुमेह न्युरोपैथी: रोगी की संवेदनशीलता कम हो जाती है। आमतौर पर, संवेदनशीलता सबसे पहले पैरों में आती है, जिसे मधुमेह पैरों की स्थिति कहते है। फिर बाद में संवेदनशीलता हाथों और उँगलियों में आती है। मधुमेहन्यूरोपैथी का अन्यरूप मोनो न्युराईटिस या ऑटोनोमिक न्यूरोपैथी होता है। मधुमेह न्यूरोपैथी मांसपेशियों की कमजोरी के कारण होता है। ४. मधुमेह रेटिनोपैथी: रेटिना में मैकुलर शोफ (मैक्युला की सूजन) के साथ- साथ नाज़ुक और खराब गुणवत्ता वाली नई रक्त वाहिकाओं का विकास गंभीर दृष्टि की हानि या अंधापन को पैदा कर सकता है। रेटिना की क्षति (माइक्रोएंजियोपैथी) अंधेपन का सबसे सामान्य कारण है। ५. मधुमेह डिस्लिपिडेमिया: भारतीय उपमहाद्वीप में किए गए सर्वव्यापी अध्ययन में यह पाया गया है, कि मधुमेह टाइप-२ से पीड़ित बहुत सारे भारतीय रोगियों का आधार डिस्लिपिडेमिक है। डिस्लिपिडेमिया का सबसे सामान्य पैटर्न कम घनत्व लिपो प्रोटीन (एलडीएल) के उच्च स्तर और उच्च घनत्व लाइपो प्रोटीन (एचडीएल) का दोनों पुरूष और महिलाओं के बीच होना है। बहुत सारे पुरुषों के बीच उच्च एलडीएल की समस्या पायी जाती है, जबकि बहुत सारी महिलाओं के बीच कम एचडीएल बड़ी समस्या बन कर सामने आता है। मधुमेह (डायबिटीज, शुगर) के घरेलू उपचार – यहां हम शुगर का घरेलू इलाज बता रहे हैं। वहीं, इस बात का ध्यान रखें कि ये डायबिटीज के घरेलू उपचार समस्या को कुछ हद तक नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं। इन्हें किसी भी तरीके से मधुमेह का डॉक्टरी इलाज न समझा जाए। 1. डायबिटीज का घरेलू उपचार- करेला सामग्री : एक करेला चुटकी-भर नमक चुटकी-भर काली मिर्च एक या दो चम्मच नींबू का रस उपयोग का तरीका : करेले को धोकर उसका जूस निकाल लें। अब इसमें स्वादानुसार नमक, काली मिर्च और नींबू का रस मिला लें। अब इस मिश्रण को पिएं। इसका सेवन हर दूसरे दिन किया जा सकता है। कैसे फायदेमंद है? करेले के फायदे कई हैं। यह मधुमेह में भी फायदेमंद हो सकता है। दरअसल,एनसीबीआई (National Center forBiotechnology Information) की वेबसाइट पर प्रकाशित शोध के अनुसार, करले में एटी-डायबिटीक गुण पायाजाता है, जो ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में सहायक हो सकता है। इसे शुगर का घरेलू इलाज माना जा सकता है। 2. शुगर का घरेलू इलाज – दाल चीनी सामग्री : आधा चम्मच दालचीनी पाउडर एक गिलास गुनगुना पानी उपयोग का तरीका : गुनगुने पानी में दालचीनी पाउडर मिलाकर सेवन करें। इस मिश्रण का सेवन हर दूसरे दिन किया जा सकता है। कैसे फायदेमंद है? एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध के अनुसार दालचीनी का उपयोग टाइप 2 डायबिटीज में लाभकारी हो सकता है। दरअसल, दालचीनी में एंटीडायबिटीक गुण मौजूद होते हैं, जिससे बढ़ते ब्लड ग्लूकोज को नियंत्रित किया जा सकता है। 3. मेथी से शुगर का घरेलू इलाज सामग्री : दो चम्मच मेथी दाना दो कप पानी उपयोग का तरीका : दो चम्मच मेथी दाने में दो कप पानी मिलाएं। अब इसे ढककर रात भर के लिए छोड़ दें। चाहें, तो गुनगुने पानी में भी मेथी को भिगो सकते हैं। अगले दिन पानी को छानकर खाली पेट पिएं। इसका सेवन हर रोज किया जा सकता है। कैसे फायदेमंद है? मेथी का उपयोग मधुमेह के लिए लाभकारी हो सकता है। मेथी और मधुमेह को लेकर किए गए कई शोध में मेथी के एंटीडायबिटिक गुण की पुष्टि हुई है। रिसर्च के अनुसार, मेथी के बीज मधुमेह ब्लड ग्लूकोज के स्तर को कम करनेमें मदद कर सकते हैं। वहीं, एक अन्य स्टडी में यह बात सामने आयी है किगर्म पानी में भिगोकर रखे गए मेथी दानों का उपयोग डायबिटीज के लिएउपयोगी हो सकता है। 4. मधुमेह का घरेलू उपचार एलोवेरा सामग्री : एक कप एलोवेरा जूस उपयोग का तरीका : हर रोज दिन में एक से दो बार बिना चीनी के एलोवेरा जूस का सेवन करें। चाहें, तो डॉक्टर से बात करके एलोवेरा के कैप्सूल भी ले सकते हैं। कैसे फायदेमंद है? एलोवेरा का उपयोग मधुमेह के लिए लाभकारी हो सकता है। एलोवेरा में एंटीडायबिटिक गुण मौजूद होता है। इसका उपयोग फास्टिंग के दौरान का ब्लड शुगर लेवल और खाने के बाद के ब्लड शुगर को कम करने या नियंत्रित करने में सहायक हो सकता है। वहीं, एक अन्य शोध में यह बात सामने आयी है कि एलोवेरा पल्प टाइप 1 और टाइप 2 मधुमेह के लिए उपयोगी हो सकता है। साथ ही यह प्रीडाइबिटीज मरीजों के लिए भी एलोवेरा का सेवन लाभकारी हो सकता है। 5. मधुमेह का घरेलू उपचार डेयरी उत्पाद मधुमेह के रोगी डेयरी प्रोडक्ट्स का उपयोग कर सकते हैं। खासतौर पर, लो फैट डेयरी प्रोडक्ट्स। स्टडी में यह बात सामने आयी है कि डेयरी प्रोडक्ट्स का सेवन टाइप 2 डायबिटीज के जोखिम को कम करने में सहायक हो सकता है। इन्हें भी शुगर का घरेलू उपचार माना जा सकता है। 6. शुगर का घरेलू इलाज जिनसेंग सामग्री : एक या दो चम्मच जिनसेंग चाय (बाजार या ऑनलाइन उपलब्ध) एक से डेढ़ कप पानी एक सॉस पैन एक कप उपयोग का तरीका : सबसे पहले एक सॉस पैन में पानी डालें। फिर इसमें एक या दो चम्मच जिनसेंग चाय पत्ती डालें। अब इसे गैस पर चढ़ाएं। थोड़ी देर उबलने दें। जब चाय उबाल जाए, तो गैस बंद कर दें। फिर इसे एक कप में छान लें। थोड़ा ठंडा होने दें फिर इसका सेवन करें। जिनसेंग चाय का सेवन हर रोज एक बार किया जा सकता है। कैसे फायदेमंद? जिनसेंग के फायदे की बात करें, तो यह सूजन के कारण होने वाली बीमारी, जिसमें डायबिटीज भी शामिल है, उसके लिए लाभकारी हो सकता है। दरअसल,जिनसेंग में एंटीडायबिटीक गुण मौजूद होता है। इसी गुण के कारण जिनसेंग के सेवन से ब्लड ग्लूकोज की मात्रा कम हो सकती है। वहीं, एक अन्य शोध में यह बात सामने आयी है कि खाने से दो घंटे पहले जिनसेंग के सेवन से टाइप 2 डायबिटीज मरीजों में शुगर के स्तर में सुधार कर सकता है। 7. डायबिटीज का घरेलू उपचार लहसुन सामग्री : लहसुन की एक या दो कलिया उपयोग का तरीका : रोज सुबह लहसुन की एक या दो कली का सेवन कर सकते हैं। अगर कच्चा लहसुन खाना पसंद नहीं, तो अपनी पसंदीदा सब्जी बनाने के समय उसमें थोड़ा लहसुन डाल सकते हैं। कैसे फायदेमंद है? लहसुन का उपयोग मधुमेह के मरीजों के लिए लाभकारी हो सकता है। दरअसल, एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध के अनुसार, कुछ हफ्तों तक लहसुन का सेवन मधुमेह के मरीजों में शुगर लेवल को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है। वहीं, एक अन्य शोध के अनुसार, लहसुन का अर्क मधुमेह की समस्या में फायदेमंद साबित हो सकता है। 8. मधुमेह का घरेलू उपचार नीम सामग्री : कुछ नीम की पत्तियां उपयोग का तरीका : नीम के पत्तों को अच्छे से धोकर सुबह के समय खा सकते हैं। चाहें, तो एक चम्मच नीम के पेस्ट को पानी में मिलाकर सुबह-सुबह पी भी सकते हैं। कैसे फायदेमंद है? नीम मधुमेह के लिए फायदेमंद हो सकता है। दरअसल, एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध में नीम में हाइपोग्लाइसेमिक प्रभाव (Hypoglycaemic effect) की बात सामने आई है। हाइपोग्लाइसेमिक प्रभाव ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने का काम कर सकता है। ऐसे में नीम का उपयोग न सिर्फ ब्लड शुगर को संतुलित कर सकता है बल्कि मधुमेह के जोखिम को भी कम कर सकता है पढ़ते रहें 9. शुगर का देसी इलाज अमरूद सामग्री : एक अमरूद नमक (वैकल्पिक) उपयोग का तरीका : हर रोज एक अमरूद का सेवन करें। चाहें, तो अमरूद के छोटे टुकड़े करके नमक के साथ भी सेवन कर सकते हैं। कैसे फायदेमंद है? अमरूद का सेवन मधुमेह रोगियों के लिए लाभकारी हो सकता है। रिसर्च के अनुसार, टाइप 2 मधुमेह के लिए अमरूद उपयोगी हो सकता है। अमरूद के पोलिसकराइड (polysaccharides – एक प्रकार का कार्बोहायड्रेट) में मौजूद एंटी-डायबिटिक प्रभाव मधुमेह के लिए लाभकारी हो सकता है। वहीं, एक अन्य स्टडी में बिना छिलके के अमरूद का सेवन ब्लड शुगर की मात्रा को कम करने में प्रभावी पाया गया है। 10. मधुमेह का घरेलू उपचार दलिया मधुमेह के जोखिम को कम करने के लिए रोजाना एक कटोरा दलिया का सेवन किया जा सकता है। दलिया ब्लड ग्लूकोज को नियंत्रित करने में सहायक हो सकता है। खासतौर पर टाइप 2 मधुमेह रोगियों के लिए हर रोज दलिया का सेवन उपयोगी हो सकता है। दलिया में मौजूद बीटा-ग्लुकोन (Beta-glucans– कार्बोहाइड्रेट) ना सिर्फ ब्लड ग्लूकोज को कम कर सकता है, बल्कि दिल कीबीमारी के जोखिम से भी बचाव कर सकता है। हालांकि, यह जरूरी नहीं किसभी प्रकार के दलिये का प्रभाव एक जैसा हो, इसलिए फ्लेवर्ड या तुरंत बनने वाले दलिये के सेवन से बचें, क्योंकि इनमें शुगर की मात्रा हो सकती है। 11. डायबिटीज का घरेलू उपचार ग्रीन टी सामग्री : एक ग्रीन टी बैग एक कप पानी एक कप उपयोग का तरीका : सबसे पहले एक कप पानी गर्म कर लें। फिर उस पानी को कप में डालें। उसके बाद इसमें ग्रीन टी बैग को दो-तीन मिनट डालकर रखें। फिर इस ग्रीन टी का सेवन करें। ग्रीन टी का सेवन हर रोज किया जा सकता है। कैसे फायदेमंद है? ग्रीन टी का उपयोग डायबिटीज के लिए लाभकारी हो सकता है। दरअसल, एक शोध में प्रति दिन छः कप या उससे अधिक ग्रीन टी का सेवन करने से व्यक्तियों में 33% टाइप 2 डायबिटीज का जोखिम कम होता पाया गया है। इसके साथ ही ग्रीन टी का सेवन ग्लूकोज मेटाबॉलिज्म में सुधार कर अचानकब्लड शुगर लेवल को बढ़ने से रोक सकता है। इस लाभ के पीछे ग्रीन टी में मौजूद कैटेचिन एपिगैलोकैटेचिन-3-गैलेट (EGCG) के एंटी डायबिटिक देखेजा सकते हैं। हालांकि, ग्रीन टी का सेवन संतुलित मात्रा में ही करें, अधिक सेवन से इसका सेवन हानिकारक हो सकता है। 12. डायबिटीज का घरेलू उपचार कॉफी सामग्री : एक चम्मच कॉफी पाउडर एक कप गर्म पानी उपयोग का तरीका : एक कप गर्म पानी में एक चम्मच कॉफी पाउडर मिलाएं। फिर इसका सेवन करें। चाहें, तो हर रोज एक कप कॉफी का सेवन कर सकते हैं। कैसे फायदेमंद है? कॉफी का उपयोग डायबिटीज से बचाव में मददगार साबित हो सकता है। इससे जुड़े एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि हर रोज बिना चीनी और दूध के कॉफी के सेवन से मधुमेह से बचा जा सकता है। कॉफी में रोगनिरोधी (prophylactic effects) प्रभाव होता है। हर रोज कॉफी का सेवन न सिर्फ ब्लड शुगर लेवल को संतुलित रख सकता है, बल्कि मधुमेह के जोखिम को भी कम कर सकता है। 13. शुगर का घरेलू इलाज अदरक सामग्री : आधा से एक चम्मच कद्दूकस किया हुआ अदरक एक कप पानी उपयोग का तरीका : एक पैन में अदरक को पानी में उबालें। फिर पांच से दस मिनट बाद इस पानी को छान लें। इसके बाद पानी को ठंडा कर तुरंत पी लें। इसे रोज एक या दो बार पी सकते हैं। कैसे फायदेमंद है? अदरक का उपयोग मधुमेह रोग के लिए लाभकारी हो सकता है। यहां, अदरक का हाइपोग्लिसेमिक (hypoglycaemic- ब्लड शुगर को कम करना) प्रभाव न सिर्फ डायबिटीज को कम कर सकता है, बल्कि डायबिटीज के कारण होने वाली अन्य जटिलताओं से भी बचाव कर सकता है। टाइप 2 डायबिटीज के लिए अदरक एक प्राकृतिक एंटी डायबिटिक एजेंट की तरह काम कर सकता है। 14. शुगर का घरेलू इलाज – कलौंजी सामग्री : 5 एमएल कलौंजी तेल एक कप काली चाय (black tea) उपयोग का तरीका : एक कप ब्लैक टी में 2.5 एमएल कलौंजी तेल मिलाएं। इस मिश्रण का सेवन हर रोज दो बार कर सकते हैं। चाहें, तो कलोंजी का उपयोग खाने में भी कर सकते हैं। कैसे फायदेमंद है? कलौंजी या कलौंजी का तेल डायबिटीज में लाभकारी सकता है। यह ब्लड ग्लूकोज लेवल को नियंत्रित कर सकता है। इसमें एंटी डायबिटिक गुण तो है ही, साथ ही साथ यह हानिकारक कोलेस्ट्रॉल को कम कर अच्छे कोलेस्ट्रॉल के स्तर को भी बढ़ाने में सहायक हो सकता है। 15. शुगर का देसी इलाज करी पत्ता सामग्री : 8-10 करी पत्ता उपयोग का तरीका : हर रोज करी पत्ता को धोकर खा सकते हैं। चाहें, तो करी पत्ता को भोजन बनाते समय उपयोग कर सकते हैं। कैसे फायदेमंद है? मधुमेह का आयुर्वेदिक उपचार के तौर पर करी पत्ते का उपयोग किया जा सकता है। आयुर्वेद में करी पत्ता को एक औषधि के रूप में माना जाता है। इसमें कई सारे गुण हैं, जिसमें एंटी डायबिटिक गुण भी शामिल है। ऐसे में करी पत्ते केसेवन से शरीर में इंसुलिन की प्रक्रिया नियंत्रित रह सकती है और ब्लड ग्लूकोज लेवल भी कम हो सकता है। इसके अलावा, करी पत्ता टाइप 2 डायबिटीज केमरीजों में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को भी नियंत्रित करने में मदद कर सकता है। 16. ब्लड शुगर के लिए विटामिन डायबिटीज के मरीजों के लिए पोषक तत्व जरूरी होते हैं। जिन लोगों को मधुमेह है, उन्हें विटामिन ए,बी, सी, डी, ई व के की पर्याप्त मात्रा की आवश्यकता हो सकती है। ऐसे में सप्लीमेंट या किसी तरह की दवा लेने से अच्छा है कि मधुमेह मरीज विटामिन युक्त खाद्य पदार्थों को अपने डाइट में शामिल करें। नोट: अगर ऊपर दिए गए घरेलू उपचार में उपयोग की गए किसी भी चीज से एलर्जी है, तो उसका सेवन करने से पहले आप अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें। लेख अभी बाकी है मधुमेह के लक्षणों और घरेलू उपचार के बाद अब जानते हैं मधुमेह रोग में डॉक्टरी सलाह कब जरूरी है। मधुमेह (डायबिटीज, शुगर) के लिए डॉक्टर की सलाह कब लेनी चाहिए? अगर किसी व्यक्ति को मधुमेह है और साथ में वो बीमार महसूस करे या को नीचे बताए गए लक्षण दिखें, तो डॉक्टरी सलाह लेना आवश्यक है) : अगर ब्लड शुगर लेवल बहुत ज्यादा बढ़ जाए। मतली या उल्टी हो। अगर ब्लड शुगर लेवल सामान्य से बहुत कम हो जाए और कुछ खाने से भी न बढ़े। अगर 100 °F या उससे अधिक शरीर का तापमान हो। देखने, बोलने और संतुलन बनाए रखने में समस्या हो। याददाश्त की समस्या हो। सीने में तेज दर्द हो। हाथ-पैर हिलाने में परेशानी हो। पढ़ते रहें अब हम जानेंगे मधुमेह का निदान कैसे किया जा सकता है। इसके बाद डायबिटीज का इलाज बताया जाएगा। मधुमेह (डायबिटीज, शुगर) का परीक्षण – डॉक्टर को मधुमेह का शक तब होता है, जब किसी व्यक्ति का ब्लड शुगर लेवल 200 mg / dL (11.1 mmol / L) से अधिक हो। मधुमेह के निदान में नीचे दिए परीक्षण की सलाह दी जा सकती है : 1. ग्लूकोज फास्टिंग टेस्ट : यह ब्लड टेस्ट बहुत ही आम है। यह टेस्ट सुबह के समय बिना कुछ खाए-पिए किया जाता है।इससे ब्लड शुगर का स्तरजानने में मदद मिलती है। 2. रैंडम ब्लड शुगर टेस्ट : यह तब किया जाता है, जब डॉक्टर को मधुमेह के लक्षण मरीज में दिखें और वो फास्टिंग टेस्ट का इंतजार न करनाचाहे। यह ब्लड टेस्ट पूरे दिन में किसी भी समय किया जा सकता है। 3. ए1सी टेस्ट : इस टेस्ट में हर रोज ब्लड शुगर का उतार-चढ़ाव चेक करने की जगह, पिछले तीन से चार महीने के लेवल का पता किया जाता है। इस टेस्ट में मरीज को भूखे रहने की जरूरत नहीं होती और यह दिन में किसी समय किया जा सकता है। 4. ग्लूकोज चैलेंज टेस्ट : अगर कोई महिला गर्भवती है और डॉक्टर उनमें जेस्टेशनल डायबिटीज का जोखिम दिखे, तो यह टेस्ट करने की सलाह दी जा सकती है। इस टेस्ट के लिए भूखे रहने की जरूरत नहीं होती है। इसमें भी व्यक्ति को मीठा पेय पदार्थ दिया जाता है और उसके सेवन के एक घंटे बाद यह टेस्ट किया जाता है। इसे ग्लूकोज स्क्रीनिंग टेस्ट भी कहते हैं। 5. ओरल ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट : मधुमेह के लक्षण का जांच करने के लिए ओरल ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट भी किया जा सकता है। इस टेस्ट के लिए कम से कम रात भर या आठ घंटे कुछ खाना नहीं होता है। टेस्ट के करीब दो घंटे पहले ग्लूकोज का पानी पीना होता है। इसके बाद अगले दो घंटेतक ब्लड शुगर लेवल का नियमित रूप से परीक्षण किया जाता है। 6. सामान्य पूछताछ : डॉक्टर मरीज से उनके या उनके परिवार के बारे में पूछ सकते हैं। जैसे किसी को डायबिटीज की शिकायत रही है या नहीं। इसके अलावा, वजन चेक कर सकते हैं और कुछ लक्षणों के बारे में पूछ सकते हैं। जानिए डायबिटीज का इलाज डायबिटीज के निदान के बाद अब जानते हैं कि मधुमेह के उपचार के क्या-क्या तरीके हो सकते हैं। मधुमेह (डायबिटीज, शुगर) का इलाज – टाइप 1 शुगर का इलाज: अगर कोई पूछे कि ब्लड शुगर कैसे ठीक होता है, तो हम बता दें कि इसका कोई पूर्ण इलाज मौजूद नहीं है। हालांकि, अस्थायी इलाज के तौर पर रोगी को बार-बार इंसुलिन की दवाइयां लेने की जरूरत हो सकती है। इतना ही नहीं, पूरे दिन में मरीज को इंसुलिन पंप के जरिए भी दवा लेने की जरूरत हो सकती है। टाइप 2 शुगर का इलाज: टाइप 2 शुगर की बीमारी का इलाज नीचे बताए गए तरीकों से किया जा सकता है टाइप 2 डायबिटीज का उपचार दवाइयों से किया जा सकता है। टाइप 2 डायबिटीज का इलाज स्वस्थ आहार से किया जा सकता है। टाइप 2 डायबिटीज का उपचार जीवनशैली में बदलाव करके भी किया जा सकता है। जीवनशैली में बदलाव की बात की जाए, तो इसमें व्यायाम और वजन कम करने जैसी चीजें शामिल हैं। गर्भावधि शुगर की बीमारी का इलाज अब जानते हैं कि जेस्टेशनल शुगर की बीमारी का इलाज के क्या विकल्प हो सकते हैं (5) : गर्भावधि डायबिटीज का इलाज के तौर पर स्वस्थ आहार के सेवन की सलाह दी जा सकती है। गर्भावधि डायबिटीज का इलाज के लिए फैट और प्रोटीन युक्त आहार का संतुलित सेवन करने की सलाह दी जा सकती है। कार्बोहाइड्रेट युक्त फल और सब्जियों का सेवन करने की सलाह दी जा सकती है। शुगर युक्त खाद्य पदार्थों के सेवन से परहेज। शारीरिक तौर पर एक्टिव रहने की सलाह दी जा सकती है। अगर ब्लड शुगर बहुत ज्यादा बढ़ जाए, तो डॉक्टर दवा भी दे सकते हैं। डायबिटीज का डाइट अगर कोई पूछे कि ब्लड शुगर कैसे ठीक होता है, तो इसका जवाब डाइट भी है। लेख के इस भाग में जानिए डायबिटीज से जुड़ी डाइट के बारे में। मधुमेह (डायबिटीज, शुगर) में क्या खाएं, क्या न खाएं –डायबिटीज का उपचार के तौर पर किन चीजों का से सेवन लाभकारी हो सकता है, यह जानना बहुत जरूरी है। नीचे जानें कि मधुमेह में क्या खाना और क्या नहीं खाना चाहिए क्या खाएं : हरी सब्जियां जैसे – ब्रोकली, गाजर, मिर्च, टमाटर, आलू, हरे मटर और कॉर्न। फल जैसे – सेब, केला, अंगूर, संतरा और बेरीज। ओट्स, राइस, बार्ली, ब्रेड, पास्ता। मछली चिकन अंडा लो फैट दूध, दही नट्स मूंगफली क्या न खाएं : शुगर में परहेज करें ज्यादा तला-भूना या ज्यादा फैट वाले खाद्य पदार्थों से। शुगर में परहेज करें ज्यादा सोडियम युक्त आहार से । शुगर में परहेज करें मीठे खाद्य पदार्थ जैसे – आइसक्रीम, कैंडी या बेकरी वाले खाद्य पदार्थ। शुगर में परहेज करें शुगर युक्त पेय पदार्थ जैसे – कोल्ड ड्रिंक, एनर्जी ड्रिंक, सोडा या जूस। डायबिटीज (मधुमेह) से बचाव के लिए योग मधुमेह को नियंत्रित करने के लिए योगासन किए जा सकते हैं। शोध में यह बात सामने आयी है कि आसन, प्राणायाम और ध्यान से शुगर लेवल नियंत्रित हो सकता है। ऐसे में शुगर कम करने के उपाय के तौर पर नीचे बताए गए डायबिटीज कंट्रोल करने के लिए योग को करना लाभकारी हो सकता है : कपालभाति अनुलोम–विलोम वक्रासन शवासन अर्धमत्स्येंद्रासन नोट : कोई भी योग या एक्सरसाइज विशेषज्ञ की देखरेख में ही करें। बचाव के उपाय अब जानते हैं कि शुगर से कैसे बचा जाए, यानी मधुमेह न हो इसके लिए किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है। मधुमेह (डायबिटीज, शुगर) से बचाव –अगर मन में सवाल आए कि शुगर से कैसे बचा जाए, तो नीचे बताए गए बातों को ध्यान में रखकर व्यक्ति डायबिटीज के जोखिम को कुछ हद तक कम कर सकता है वजन को नियंत्रित रखें। डाइट में बदलाव करें और स्वस्थ आहार लें। नियमित रूप से योग या व्यायाम करें। अगर घर में किसी को मधुमेह है, तो डॉक्टर से बात करें और सलाह लें। धूम्रपान न करें। कुछ और टिप्स डायबिटीज के लक्षण और उपाय के बाद अब लेख के इस भाग में हम कुछ और टिप्स के बारे में जानकारी दे रहे हैं। मधुमेह (डायबिटीज, शुगर) के लिये कुछ और टिप्स – डायबिटीज के लक्षण और निदान के बाद नीचे बताए गए कुछ टिप्स से मधुमेह को कंट्रोल कर सकते हैं अपने शुगर लेवल की नियमित जांच करते रहें। डॉक्टर द्वारा दी गईं दवाइयों का नियमित तौर पर सेवन करें। सही और स्वस्थ आहार लें और जरूरत पड़े तो डॉक्टर से डाइट चार्ट के बारे में पूछें। नियमित रूप से एक्सरसाइज और योग करें। सही मात्रा में पानी पिएं। अगर किसी को डायबिटीज नहीं है, तो भी व्यक्ति मधुमेह से बचे रहने के लिए लेख में बताया गया शुगर का घरेलू उपचार अपना सकते हैं। इसके अलावा,जिन्हें यह समस्या है, वे डॉक्टरी परामर्श पर इन घरेलू उपचारों का पालन कर सकते हैं। डायबिटीज का घरेलू उपचारों में से अपनी सुविधा अनुसार शुगर कम करने के उपाय को अपनाकर ब्लड शुगर के स्तर को कम किया जा सकता है। वहीं, अगर घरेलू उपचार के बाद भी सुधार नजर नहीं आता है, तो तुरंत मधुमेह के उपचार के लिए डॉक्टर से संपर्क करें। डायबिटीज का इलाज सही वक्त पर करके अन्य बीमारियों के खतरे को भी टाला जा सकता है। इसलिए, हमारी राय यही है कि ब्लड शुगर के लक्षण दिखने पर सही वक्त पर ध्यान दें और खुद को सुरक्षित रखें।