महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव निकट हैं, और इस बीच महाविकास अघाड़ी (एमवीए) के अंदरूनी मतभेद खुलकर सामने आ गए हैं। शरद पवार और उद्धव ठाकरे द्वारा गठित एमवीए में अब स्थायित्व की कमी दिखाई दे रही है, जिससे इस गठबंधन के टूटने की अटकलें तेज हो रही हैं। विधानसभा चुनाव से पहले ही घटक दलों ने एक-दूसरे के खिलाफ उम्मीदवार मैदान में उतार दिए हैं, जिससे राज्य में सुचारु शासन पर सवाल उठने लगे हैं।
कांग्रेस और उद्धव ठाकरे के बीच सीट बंटवारे पर कई बैठकें हुईं, लेकिन सहमति नहीं बन सकी। परांदा, दक्षिण सोलापुर, दिगराज, और मिराज जैसे क्षेत्रों में घटक दलों ने एक-दूसरे के खिलाफ उम्मीदवार उतार दिए हैं, जिससे गठबंधन की छवि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। इससे कार्यकर्ताओं में भी असंतोष बढ़ रहा है, जो चुनाव से पहले गठबंधन के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो सकती है।
एमवीए के घटक दलों के बीच वैचारिक और रणनीतिक मतभेद लगातार बढ़ते जा रहे हैं। मुख्यमंत्री पद के नामांकन और अन्य प्रमुख मुद्दों पर असहमति ने गठबंधन को कमजोर कर दिया है। उम्मीदवारों के बीच असहमति और कलह का माहौल चुनावी संभावनाओं पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है।
जहां एमवीए में अंदरूनी असंतोष हावी है, वहीं भाजपा और उसके सहयोगी दल एकजुटता का प्रदर्शन कर रहे हैं। भाजपा ने अपने गठबंधन में स्थानीय नेताओं को समन्वय में रखा है, जिससे वह एक मजबूत संयुक्त मोर्चा प्रस्तुत कर रही है। इसके विपरीत, एमवीए छोटे दलों और उम्मीदवारों को एकीकृत करने में असफल रही है।
महाविकास अघाड़ी के सामने कई चुनौतियां हैं, जिनमें सीट बंटवारे और कार्यकर्ताओं के बीच सामंजस्य की कमी प्रमुख हैं। मतभेदों और अंदरूनी कलह ने गठबंधन की चुनावी संभावनाओं को कमजोर किया है, जिससे महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में एमवीए की स्थिति अनिश्चित बनी हुई है।