दिवाली का पावन पर्व 31 अक्टूबर को हर्षोल्लास से मनाया जाएगा। दिवाली पांच दिनों तक मनाए जाने वाला पर्व है, लेकिन इस बार यह छह दिनों का होगा। दिवाली पर महालक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो लोग दिवाली पर माता लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा करते हैं, उन पर मां लक्ष्मी की कृपा सदैव बनी रहती है। आइए जानते हैं दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजन का महत्व, विधि, और मंत्र।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, दिवाली के दिन महालक्ष्मी की पूजा करने से सुख-समृद्धि और धन की देवी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस दिन गणेश जी, कुबेर देव और देवी सरस्वती की भी विधि-विधान से पूजा की जाती है। मां लक्ष्मी की पूजा प्रदोष काल और स्थिर लग्न में करना शुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि दिवाली पर घर को स्वच्छ और सजीव रखने से देवी लक्ष्मी का आगमन होता है, जो व्यक्ति के जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि लाती हैं।
घर की सफाई: दिवाली से पहले घर की सफाई करें ताकि वातावरण पवित्र और शुद्ध हो।
गंगाजल छिड़काव: पूजा से पहले घर के हर कोने में गंगाजल का छिड़काव करें।
मुख्य द्वार की सजावट: मुख्य दरवाजे पर रंगोली बनाएं और तोरण द्वार सजाएं। स्वास्तिक और शुभ-लाभ की आकृतियां बनाएं।
पूजा स्थल की तैयारी: शाम के समय पूर्व दिशा में एक चौकी रखें और उस पर लाल रंग का साफ कपड़ा बिछाएं।
मूर्ति स्थापना: चौकी पर भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की मूर्तियों को स्थापित करें। गंगाजल से मूर्तियों को स्नान कराएं और उनकी स्तुति करें।
पूजा सामग्री अर्पण: गणेश जी की वंदना करते हुए पूजा की सामग्री अर्पित करें और प्रसाद चढ़ाएं। लक्ष्मी-गणेश जी के मंत्रों का जाप करें।
प्रसाद वितरण: पूजा के अंत में मां लक्ष्मी और भगवान गणेश से क्षमा याचना करें और सभी भक्तों में प्रसाद बांटें।
गणेश जी का मंत्र
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।
लक्ष्मी पूजन मंत्र
- ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभ्यो नमः।
- ॐ श्रीं ल्कीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा।
- ॐ श्री ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मयै नमः।
- धनदाय नमस्तुभ्यं निधिपद्माधिपाय च। भगवान् त्वत्प्रसादेन धनधान्यादिसम्पदः।