दिवाली, जिसे रोशनी के त्योहार के रूप में जाना जाता है, हिंदू धर्म में सबसे महत्वपूर्ण उत्सवों में से एक है। यह त्योहार भगवान राम की 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या वापसी का प्रतीक है और अंधकार पर प्रकाश, बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देता है। इस दिन, भक्त देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं, जो धन, समृद्धि और शांति की देवी मानी जाती हैं। दीपक जलाना दिवाली की प्रमुख परंपराओं में से एक है, जिससे पूरे घर को रोशन किया जाता है।
इस साल दिवाली 1 नवंबर, शुक्रवार को मनाई जाएगी, जिसकी शुरुआत 29 अक्टूबर 2024, मंगलवार को धनतेरस से होगी। इस त्योहार के दौरान हर घर के कोने-कोने में दीप जलाए जाते हैं, जो धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखते हैं।
गाय के गोबर को भारतीय संस्कृति में अत्यधिक पवित्र माना गया है। मान्यताओं के अनुसार, देवी लक्ष्मी का निवास गाय के गोबर में होता है, और दिवाली पर इससे बने दीपक जलाने से देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और अपने आशीर्वाद से घर को सुख-समृद्धि से भर देती हैं। गोबर के दीये पवित्रता, प्रकृति से जुड़ाव, और समृद्धि का प्रतीक माने जाते हैं।
सनातन धर्म में गाय को ‘गौमाता’ के रूप में पूजा जाता है, जो जीवन, पोषण और पृथ्वी का प्रतीक है। शास्त्रों के अनुसार, गाय के शरीर में 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास होता है, जिसमें भगवान ब्रह्मा, शिव, और विष्णु प्रमुख हैं। इस मान्यता के अनुसार, गाय की पूजा करने से सभी देवी-देवताओं का आशीर्वाद मिलता है।
दिवाली पर गाय के गोबर से बने दीये जलाने की परंपरा विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। यह न केवल पर्यावरण के अनुकूल है, बल्कि देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने का भी एक साधन है। ऐसे दीयों से घर में सुख, समृद्धि और शांति का निवास होता है, और यह धार्मिक परंपरा में भी एक विशेष स्थान रखता है।