पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में एक ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुए रेप और हत्या के मामले ने देशभर के डॉक्टरों को गुस्से से भर दिया है। इस घटना के बाद से रेजिडेंट डॉक्टरों ने विरोध में सड़कों पर उतरकर अपनी नाराजगी जाहिर की है। दिल्ली में रेजिडेंट डॉक्टरों का अनिश्चितकालीन धरना गुरुवार को 11वें दिन भी जारी रहा, जिससे अस्पतालों में रोगी सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हो रही हैं।
उच्चतम न्यायालय ने प्रदर्शनकारी डॉक्टरों से काम पर लौटने की अपील की थी, लेकिन इसका असर अभी तक नहीं दिखा है। सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता की घटना का स्वत: संज्ञान लेते हुए डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए एक 10 सदस्यीय राष्ट्रीय टास्क फोर्स का गठन किया है, जिसे तीन सप्ताह के भीतर अपनी अंतरिम रिपोर्ट प्रस्तुत करनी है। वाइस एडमिरल आरती सरीन के नेतृत्व वाली इस टास्क फोर्स पर कुछ डॉक्टर्स एसोसिएशनों ने असंतोष व्यक्त किया है, क्योंकि इसमें रेजिडेंट डॉक्टरों का प्रतिनिधित्व नहीं किया गया है।
अखिल भारतीय चिकित्सा संघ महासंघ ने एनटीएफ की सिफारिशों के लागू होने तक डॉक्टरों के लिए अंतरिम सुरक्षा की मांग की है। उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय से अपील की है कि रेजिडेंट डॉक्टरों का पर्याप्त प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जाए ताकि उनकी वास्तविक समय की समस्याओं का समाधान हो सके। याचिका में अस्पतालों और छात्रावासों के संवेदनशील क्षेत्रों में सीसीटीवी कैमरे लगाने, महिलाओं के यौन उत्पीड़न के खिलाफ सख्त उपाय, और आपातकालीन स्थितियों में डॉक्टरों को तत्काल सहायता प्रदान करने के लिए 24/7 संकट कॉल सुविधा स्थापित करने की भी मांग की गई है।
इस पूरे मामले ने डॉक्टरों की सुरक्षा और उनके अधिकारों की रक्षा को लेकर एक गंभीर बहस छेड़ दी है। अब सबकी नजरें सुप्रीम कोर्ट और सरकार की अगली कार्रवाई पर हैं।