भारतीय संस्कृति में हिंदू धर्म के लोग भगवानों को ज्यादा मानते है | यहाँ पूजा के लिए प्रयोग में लाई जाने वाली दूर्वा को दूब, अमृता, अनंता, महौषधि आदि के नाम से जानते हैं | इसका भी एक अलग महत्व है | दूर्वा न सिर्फ मांगलिक कार्यों में उपयोग होता है बल्कि प्रथम पूजनीय गणपति की पूजा में विशेष रूप से चढ़ाई जाती है | इसी पवित्र दूर्वा को लेकर आज दूर्वा अष्टमी का पर्व मनाया जा रहा है |
हर वर्ष भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाए जाने वाले इस पर्व का अत्यंत महत्व है | मान्यता है कि दूर्वा अष्टमी के दिन दूर्वा की पूजा करने से न सिर्फ सभी कार्य मंगलमय तरीके से संपन्न होते हैं बल्कि घर-परिवार में सभी स्वस्थ, संपन्न और सुखी रहते हैं | पृथ्वी पर पाई जाने वाली दूर्वा के बारे में कई प्रकार की कथा सुनने को मिलती है
दूर्वा से जुड़ी पौराणिक कथा एक कथा के अनुसार मंगलकारी दूर्वा का प्रादुर्भाव समुद्र मंथन के समय तब हुआ था जब देवता गण अमृत को राक्षसों से बचाने के लिए लेकर जा रहे थे और उस अमृत कलश से कुछ बूंदे पृथ्वी पर उगी हुई दूर्वा पर गिर गई, जिसके बाद से वह अजर अमर हो गई | बार-बार उखाड़े जाने के बाद भी वह खत्म नहीं होती है और दोबारा उग आती है |