महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों की घोषणा से ठीक पहले राज्य की राजनीति में बड़ा बदलाव देखने को मिला है। राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने राज्य मंत्रिमंडल की सिफारिश पर देर रात राज्यपाल कोटे के तहत विधान परिषद के रिक्त पदों पर सात नए सदस्यों की नियुक्ति को मंजूरी दी।
आज महाराष्ट्र विधान परिषद की उपाध्यक्ष नीलम गोरे ने नवनियुक्त विधान परिषद सदस्यों को शपथ दिलाई। हालांकि, विपक्षी महा विकास अघाड़ी (एमवीए) ने इन नियुक्तियों को असंवैधानिक बताते हुए इसका विरोध किया है और इसे अदालत में चुनौती देने की बात कही है।
भाजपा, शिवसेना, और एनसीपी को क्रमशः तीन, दो और दो सीटें मिली हैं। भाजपा ने चित्रा वाघ, विक्रांत पाटिल और बाबूसिंह महाराज राठौड़ को विधान परिषद भेजा है। एनसीपी ने पंकज भुजबल और इदरीस नाइकवाड़ी को चुना, जबकि शिवसेना ने मनीष कायंदे और हेमंत पाटिल को नामित किया।
एमवीए के कार्यकाल में राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को दो बार विधान परिषद के लिए 12 उम्मीदवारों की सूची दी गई थी, लेकिन उन्होंने इसे मंजूरी नहीं दी। एमवीए ने इस मामले को बॉम्बे हाई कोर्ट में उठाया, पर अदालत ने राज्यपाल को निर्देश देने से मना कर दिया।
2022 में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने राज्यपाल को पत्र लिखकर एमवीए द्वारा प्रस्तावित 12 नामों को वापस लेने का अनुरोध किया था, जिसे स्वीकार कर लिया गया। इस कदम से महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल मच गई है, और विपक्ष इस पर कड़ा रुख अपनाए हुए है।
बॉम्बे हाई कोर्ट ने 2021 में आदेश दिया था कि राज्यपाल को 12 नामांकनों पर जल्द से जल्द निर्णय लेना चाहिए, क्योंकि विधान परिषद की सीटें “अनिश्चित काल तक खाली नहीं रखी जा सकतीं”।