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ग्यारहवां वाहन

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शनि का वाहन कौआ : बहुत कम लोगों को पता होगा कि शनिदेव की सवारी कौवा या गिद्ध ही नहीं बल्कि पुरे 9 सवारी शनिदेव की है। जैसे- गिद्ध, घोड़ा, गधा, कुत्ता, शेर, सियार, हाथी, मोर और हिरण हैं। शास्त्रों में कहा गया है कि शनिदेव जिस वाहन पर सवार होकर जिसके पास भी जाते हैं वह व्यक्ति उसी के हिसाब से फल का उत्तरदायी होता है। हालांकि कौवा को उनकी मुख्‍य सवारी माना जाता है।

कौआ एक बुद्धिमान प्राणी है। कौए को अतिथि-आगमन का सूचक और पितरों का आश्रम स्थल माना जाता है। पुराणों की एक कथा के अनुसार इस पक्षी ने अमृत का स्वाद चख लिया था इसलिए मान्यता के अनुसार इस पक्षी की कभी स्वाभाविक मृत्यु नहीं होती। कोई बीमारी एवं वृद्धावस्था से भी इसकी मौत नहीं होती है। इसकी मृत्यु आकस्मिक रूप से ही होती है।

जिस दिन किसी कौए की मृत्यु हो जाती है उस दिन उसका कोई साथी भोजन नहीं करता है। कौआ अकेले में भी भोजन कभी नहीं खाता, वह किसी साथी के साथ ही मिल-बांटकर भोजन ग्रहण करता है।

कौए की योग्यता : कौआ लगभग 20 इंच लंबा, गहरे काले रंग का पक्षी है जिसके नर और मादा एक ही जैसे होते हैं। कौआ बगैर थके मीलों उड़ सकता है। कौए को भविष्य में घटने वाली घटनाओं का पहले से ही आभास हो जाता है।

पितरों का आश्रय स्थल : श्राद्ध पक्ष में कौओं का बहुत महत्व माना गया है। इस पक्ष में कौओं को भोजन कराना अर्थात अपने पितरों को भोजन कराना माना गया है। शास्त्रों के अनुसार कोई भी क्षमतावान आत्मा कौए के शरीर में स्थित होकर विचरण कर सकती है।

कौए को भोजन कराने का लाभ : भादौ महीने के 16 दिन कौआ हर घर की छत का मेहमान बनता है। ये 16 दिन श्राद्ध पक्ष के दिन माने जाते हैं। कौए एवं पीपल को पितृ प्रतीक माना जाता है। इन दिनों कौए को खाना खिलाकर एवं पीपल को पानी पिलाकर पितरों को तृप्त किया जाता है।

विष्णु पुराण में श्राद्ध पक्ष में भक्ति और विनम्रता से यथाशक्ति भोजन कराने की बात कही गई है। कौए को पितरों का प्रतीक मानकर श्राद्ध पक्ष के 16 दिनों तक भोजन कराया जाता है। माना जाता है कि कौए के रूप में हमारे पूर्वज ही भोजन करते हैं। कौए को भाजन कराने से सभी तरह का पितृ और कालसर्प दोष दूर हो जाता है।

बारहवां वाहन…

भगवान भैरव का वाहन कुत्ता :- कुत्ता एक रहस्यमयी प्राणी है। कुछ धर्मों में इसे शैतानी माना गया है तो ‍हिन्दू धर्म में इसे कुशाग्र बुद्धि और रहस्यों को जानने वाला प्राणी माना गया है। कई मामलों में यह मनुष्यों की रक्षा करता है। भगवान भैरव ने इसे अपना वाहन तो नहीं बनाया लेकिन वे हमेशा इसे अपने साथ रखते हैं।

इस्लाम के अनुसार जिस घर में कुत्ता होता है वहां फरिश्ते नहीं जाते- (सहीह मुस्लिम हदीस नं 2106)। हिन्दू धर्म के पुराणों में कुत्ते को यम का दूत कहा गया है। ऋग्वेद में एक स्थान पर जघन्य शब्द करने वाले श्वानों का उल्लेख मिलता है, जो विनाश के लिए आते हैं।

भैरव महाराज का सेवक : कुत्ते को हिन्दू देवता भैरव महाराज का सेवक माना जाता है। कुत्ते को भोजन देने से भैरव महाराज प्रसन्न होते हैं और हर तरह के आकस्मिक संकटों से वे भक्त की रक्षा करते हैं। मान्यता है कि कुत्ते को प्रसन्न रखने से वह आपके आसपास यमदूत को भी नहीं फटकने देता है। कुत्ते को देखकर हर तरह की आत्माएं दूर भागने लगती हैं।

कुत्ते की योग्यता : दरअसल कुत्ता एक ऐसा प्राणी है, जो भविष्‍य में होने वाली घटनाओं और ईथर माध्यम (सूक्ष्म जगत) की आत्माओं को देखने की क्षमता रखता है। कुत्ता कई किलोमीटर तक की गंध सूंघ सकता है। कुत्ते को हिन्दू धर्म में एक रहस्यमय प्राणी माना गया है, लेकिन इसको भोजन कराने से हर तरह के संकटों से बचा जा सकता है।

क्यों पालते हैं कुत्ता? : कुत्ता एक वफादार प्राणी होता है, जो हर तरह के खतरे को पहले ही भांप लेता है। प्राचीन और मध्‍य काल में पहले लोग कुत्ता अपने साथ इसलिए रखते थे ताकि वे जंगली जानवरों, लुटेरों और भूतादि से बच सके। बंजारा जाति और आदिवासी लोग कुत्ते को पालते थे ताकि वे हर तरह के खतरे से पहले ही सतर्क हो जाएं। भारत में जंगल में रहने वाले साधु-संत भी कुत्ता इसीलिए पालते थे ताकि कुत्ता उनको खतरे के प्रति सतर्क कर दे। आजकल लोग घर में कुत्ता इसलिए पालते हैं कि वह उनके घर की चोरों से रक्षा कर सके। लेकिन कुत्ता पालना खतरनाक भी हो सकता है और फायदेमंद भी इसलिए कुत्ता पालने से पहले किसी धर्मज्ञ और लाल किताब के विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लें। कुत्ता आपको राजा से रंक और रंक से राजा बना सकता है।

इसके अलावा आदित्य का वाहन सात घोड़े, वरुण का वाहन सात हंस, ब्रह्मा सात हंस, महेश्वरी का बैल, दुर्गा का सिंह और अग्नि का मेष आदि।

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