उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने आज अपनी कोटा यात्रा के दौरान शहर के विभिन्न संस्थानों में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्र-छात्राओं से संवाद कर उनका उत्साहवर्धन किया। इस दौरान संसद में व्यवधानों को अनुचित बताते हुए उन्होंने कहा कि देश की सबसे बड़ी पंचायत संवाद और विचार-विमर्श का मंच होनी चाहिए ना कि शोर-शराबे और हंगामे का।
उन्होंने आगे कहा कि “एक मुद्दा आया वन नेशन- वन इलेक्शन का। कह रहे हैं, हम चर्चा ही नहीं करेंगे! अरे चर्चा करना आपका काम है, उससे सहमत होना या ना होना आपका विवेक है।” श्री धनखड़ ने आगे कहा “लोकतंत्र में चर्चा नहीं होगी तो वह लोकतंत्र कहां है? लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए आवश्यक है कि चर्चा और विमर्श हो।”
सरकारों द्वारा मुफ्त की रेवड़ियां बांटने को गलत प्रवृत्ति बताते हुए उपराष्ट्रपति जी ने कहा कि हमारा जोर पूंजीगत व्यय (capital expenditure) पर अधिक होना चाहिए ताकि स्थायी इंफ्रास्ट्रक्चर बनायी जा सके। “ऐसा करने के बजाय यदि कोई सरकार लोगों की जेब गर्म करती है तो यह लाभ अल्पकालिक होगा, & इससे दीर्घकालिक नुकसान उठाने पड़ेंगे।”
भारतीय इतिहास पढ़ाने से संबंधित एक छात्र के प्रश्न के जवाब में उपराष्ट्रपति जी ने कहा कि हर छात्र-छात्रा को इतिहास पढ़ना चाहिए भले ही उनके अध्ययन के विषय कुछ भी हों। इससे हमें हमारे स्वतंत्रता बलिदानियों के बारे में जानने को मिलता है। श्री धनखड़ ने आगे कहा कि अमृत काल में हमें अनेक गुमनाम स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदानों को जानने का अवसर मिला है।
एक अन्य प्रश्न का उत्तर देते हुए श्री धनखड़ ने कहा कि प्राइमरी शिक्षा बच्चों का आधार तैयार करती है, अतः प्राइमरी एजुकेशन की गुणवत्ता सुधारने पर बल देना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि, “गांवों में देखता हूँ कि सरकारी स्कूलों की अच्छी बिल्डिंग हैं, काफी एरिया है, क्वालिफाइड शिक्षक हैं, लेकिन लोग अपने बच्चों को ऐसे छोटे प्राइवेट स्कूलों में भेज रहे हैं जिसमें प्लेग्राउंड भी नहीं है और जहाँ उनका आर्थिक शोषण होता है। यह न केवल सरकार बल्कि समाज, NGO, आम नागरिक सबकी जिम्मेदारी है कि वे सरकारी स्कूलों पर अपना ध्यान फोकस करें।”
उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि भारतीय होने पर गर्व कीजिए, भारत की उपलब्धियों पर गर्व कीजिये और हर हाल में राष्ट्र को सर्वोपरि रखिए। “भारत आज बुलंदियों पर है लेकिन कुछ सिरफिरे परेशान हैं और मजबूत भारत को मजबूर भारत बताना चाहते हैं,
एक मुद्दा आया- One Nation, One Election. कह रहे हैं, हम चर्चा ही नहीं करेंगे!
चर्चा करना आपका काम है, agree करना या ना करना आपका विवेक है।
Democracy में चर्चा नहीं होगी तो वह Democracy कहां है? Democratic values, democratic essence require deliberation and discussion!
We have… pic.twitter.com/k9cTSjuWWK
— Vice President of India (@VPIndia) September 5, 2023