सितंबर का महीना चल रहा है और इसके अंतिम सप्ताह में कई महत्वपूर्ण व्रत और त्योहार आने वाले हैं। इस हफ्ते पितृ पक्ष की कई प्रमुख तिथियां पड़ रही हैं, जिन पर श्राद्ध कर्म और पिंडदान किया जा सकता है। इस सप्ताह जीवात्पुत्रिका व्रत, इंदिरा एकादशी व्रत और रवि प्रदोष व्रत भी मनाए जाएंगे। ज्योतिष के अनुसार, इस सप्ताह में बुध ग्रह कन्या राशि में गोचर करेंगे। आइए जानते हैं सितंबर के आखिरी सप्ताह में पड़ने वाले प्रमुख व्रत त्योहारों के बारे में।
पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जीवित्पुत्रिका व्रत किया जाता है, जिसे जितिया व्रत भी कहा जाता है। संतानवती महिलाएं अपने बच्चों को दीर्घायु बनाने के लिए इस व्रत का पालन करती हैं। यह व्रत कठिन व्रतों में से एक माना जाता है क्योंकि इस दिन महिलाएं पूरे दिन निर्जला उपवास रखती हैं। इस वर्ष, जीवात्पुत्रिका व्रत 25 सितंबर 2024, बुधवार को मनाया जाएगा।
सितंबर के आखिरी हफ्ते में कई महत्वपूर्ण व्रत त्योहार पड़ रहे हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि को मातृ नवमी माना जाता है। इसी दिन नवमी तिथि के निमित्त श्राद्ध एवं तर्पण किया जाता है। मातृ नवमी 26 सितंबर 2024, गुरुवार को मनाई जाएगी। इस दिन महिला पितरों का श्राद्ध किया जाता है और पितरों के नाम का दान करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि का श्राद्ध एवं तर्पण किया जाता है। दशमी श्राद्ध और तर्पण 27 सितंबर 2024, शुक्रवार को किया जाएगा। इस दिन उन लोगों का श्राद्ध कर्म और तर्पण किया जाता है जिनकी मृत्यु दशमी तिथि को हुई हो। इस दिन पितरों के नाम का दान करने के बाद भागवत गीता के दसवें अध्याय का पाठ करना आवश्यक है।
इंदिरा एकादशी का व्रत 28 सितंबर 2024, शनिवार को रखा जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी का व्रत किया जाएगा। इस दिन विधिवत रूप से श्री विष्णु की पूजा अर्चना की जाती है। मान्यता है कि इंदिरा एकादशी का व्रत करने से भगवान विष्णु के साथ ही पितरों का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। माना जाता है कि इस व्रत से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट होते हैं और पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। इस दिन एकादशी तिथि का श्राद्ध और तर्पण भी किया जाएगा।
सितंबर के अंतिम सप्ताह में ये व्रत और त्योहार विशेष महत्व रखते हैं। इन अवसरों पर विधिवत पूजा-पाठ और श्राद्ध कर्म करने से व्यक्ति को आत्मिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।